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बीकानेर,राज्य शिक्षा विभाग की ओर से स्कूली खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन चल रहा है. जिसमें विभाग के अधीन सरकारी व गैर सरकारी स्कूलों के बच्चे भाग ले रहे हैं.

इस प्रतियोगिता में केंद्रीय विद्यालयों के छात्रों को भी भाग लेने की छूट है और कई जिलों में केंद्रीय विद्यालय के छात्र इसमें शामिल हो रहे हैं. लेकिन इस बीच सामने आई कुछ विसंगतियों को अब दूर करने की मांग उठ रही है.

बीकानेर. शिक्षा विभाग की ओर से प्रदेश स्तर पर जारी स्कूली खेल प्रतियोगिता के तहत जिलेवार अलग-अलग खेल प्रतिस्पर्धाओं का आयोजन चल रहा रहा है. जिसमें अबकी विभाग ने 30 नए ग्रामीण खेलों को शामिल किया है. इसको लेकर स्कूली खिलाड़ियों में भी उत्साह का माहौल है. हाल ही में हुए ग्रामीण ओलंपिक के बाद प्रदेश में खेलों के प्रति रूझान और उत्साह देखने को मिला है. स्कूली खेल प्रतियोगिताओं में राजस्थान के सभी सरकारी और गैर सरकारी विद्यालयों के छात्र भाग ले रहे हैं. इसके अलावा इस प्रतियोगिता में प्रदेश के कई जिलों के केंद्रीय विद्यालय के बच्चे भी शामिल हो रहे हैं. लेकिन इस बीच इस प्रतियोगिता में दो विसंगतियों को लेकर अब सवाल  उठ रहे हैं.

तीरंदाजी के कोच व केंद्रीय विद्यालय में पढ़ने वाले एक छात्र के अभिभावक अनिल जोशी ने कहा कि प्रदेश सरकार की ओर से आयोजित स्कूली खेल प्रतियोगिताओं में केंद्रीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चे शामिल तो हो सकते हैं, लेकिन केंद्रीय विद्यालयों के टूर्नामेंट में राजस्थान के किसी भी सरकारी व गैर सरकारी स्कूल के बच्चे भाग नहीं ले सकते हैं.

विसंगतियों पर उठे सवाल

उन्होंने कहा कि यह नियम समान रूप से दोनों पक्षों की ओर से होना चाहिए. जब राजस्थान सरकार के सभी टूर्नामेंट में केंद्रीय विद्यालय के बच्चे भाग ले सकते हैं तो केंद्रीय विद्यालयों के होने वाले टूर्नामेंट में भी राजस्थान के बच्चों को शामिल क्यों नहीं किया जाता. जोशी ने कहा कि खेलों में स्कूली बच्चों को इस दायरे में नहीं बांधा जाना चाहिए. साथ ही जब प्रतिस्पर्धा ज्यादा होती है तो खेल में और निखार आता है और खिलाड़ी के प्रदर्शन पर इसका माकूल असर पड़ता है.

क्रीड़ा शुल्क को लेकर मांग: शिक्षक संगठन के पदाधिकारी किशोर पुरोहित ने कहा कि केंद्रीय विद्यालय के स्तर पर एक और विसंगति सामने आई है. उन्होंने कहा कि स्कूल खेल प्रतियोगिताओं में शामिल होने वाले किसी भी छात्र के लिए यह जरूरी है कि उस स्कूल से क्रीड़ा शुल्क शिक्षा विभाग में राशि जमा कराया गया हो, लेकिन केंद्रीय विद्यालयों की ओर से कई जगहों पर यह क्रीड़ा शुल्क जमा नहीं कराया जाता है. ऐसे में यदि उस केंद्रीय विद्यालय का छात्र शिक्षा विभाग की ओर से आयोजित इस स्कूली टूर्नामेंट में भाग लेना चाहे तो भी नहीं ले पाता है. हालांकि, यह शुल्क प्रति छात्र 10 से 20 रुपये निर्धारित है.

पुरोहित ने कहा कि जो बच्चे केंद्रीय विद्यालय में पढ़ रहे हैं, उनको इस टूर्नामेंट में खेलने को लेकर कोई मनाही नहीं है. ऐसे में उन्हें भी स्कूल स्तर पर इस शुल्क को जमा कराना चाहिए, लेकिन कई जगहों पर केंद्रीय विद्यालय प्रशासन ने यह शुल्क जमा नहीं कराया है. जिससे पढ़ रहे बच्चे इन खेल प्रतियोगिताओं में भाग नहीं ले पा रहे हैं. इसके लिए सरकारी स्तर पर नियमों के बाबत बातचीत होनी चाहिए. ताकि हम खेल और खिलाड़ियों को और अधिक प्रोत्साहित कर सके.

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