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बीकानेर,विजयादशमी की शाम एक ओर जहां देश-दुनिया में रावण दहन हो रहे थे वहीं दूसरी ओर बीकानेर में पुष्करणा समाज के पंडितों, ज्योतिषियों और विद्वानों के लंबा शास्त्रार्थ छिड़ चुका था। शाम गहराने के साथ शुरू हुआ यह शास्त्रार्थ, तर्क-वितर्क से होता हुआ गरमागरम बहस में बदलता जा रहा था। मुद्दा था पुष्करणा समाज में दो साल से होने वाला सामूहिक सावा तय करना जिसे आम बोलचाल में पुष्करणा ओलंपिक कहते हैं। रात लगभग एक बजे तक चले इस शास्त्रार्थ के बाद आखिरकार सावे की तारीख तय हो गई। यह तारीख है, 18 फरवरी 2024, रविवार। इस बार सावा भवानी शंकर-भवानी के नाम से निकाला गया।

दरअसल बीकानेर के पुष्करणा समाज में हर दो साल में एक बार सामूहिक विवाह होता है। पहले यह अवधि चार साल होती थी जिसे पिछले कुछ सालों मैं घटाकर दो साल कर दिया गया है। इसी सावे की तिथियां तय करने समाज की लगभग सभी जातियों के प्रमुख विद्वान एक जाजम पर बैठते हैं। श्रेष्ठ सावा तय करते हैं।

दशहरे के दिन सावे की तिथि तय हो गई। अब धनतेरस को फिर पंडितों की पंचायत जुटेगी। उस दिन सावे के हिसाब से बाकी संस्कार तय होंगे। मसलन, यज्ञोपवीत, हाथकाम, छींकी आदि के दिन और समय तय किए जाएंगे।

राज परिवार से अनुमति की परंपरा भी होती है :
बीकानेरी पुष्करणा सावे के कई रस्मों-रिवाज और परंपराएं काफी रोचक हैं। इन्हीं में से एक है राज परिवार से सावे की इजाजत लेना। राजशाही के जमाने से अब तक यह रस्म निभाई जाती है।

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