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बीकानेर,लोक परम्परा के संवाहक प्रवासी संस्कृति कर्मी चेन्नई निवासी पुरुषोत्तम सेवग ने राजस्थान से बाहर चेन्नई में राजस्थानी कला साहित्य एवं संस्कृति को व्यापक स्तर पर वहां के लोगो में पहचान दिलाई है। सखा संगम के अध्यक्ष एन.डी.रंगा ने पुरुषोत्तम सेवग के सम्मान में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में विचार रखते हुए यह उद्गार व्यक्त किए। रंगा ने कहा कि राजस्थानी संस्कृति को अक्षुण्ण बनाए रखने का बेहतरीन काम उनकी तीन पीढ़ी कर रही है। कार्यक्रम में बोलते हुए संस्कृतिकर्मी चंद्रशेखर जोशी ने कहा कि राजस्थानी संस्कृति को दक्षिण क्षेत्र में आगे बढ़ाने का काम जमुनादासजी सेवग के नेतृत्व में प्रारंभ हुआ था जिसे उनके पुत्र सतत रूप से जारी रखे हुए हैं जोशी ने कहा कि संस्कृति को आगे बढाने में उनके पुत्र और पौत्र मन से काम करते हैं । जोशी ने कहा कि पुरुषोत्तम सेवग दक्षिण भारत में तीज-त्यौहारों के अलावा भी स्थानीय समुदाय के बीच तारतम्यता बनाए रखे है। शब्दरंग साहित्य एवं कला संस्थान और सखा संगम ने बीकानेर आगमन पर इनका भावभीना अभिनन्दन शिव-निवास, बरतन बाजार में किया ।
संयोजकीय व्यक्तव्य देते हुए साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार ने कहा कि सेवग परिवार बीकानेरियत को चेन्नई में जिंदा रखे हुए है । होली, दीवाली या गणगौर का पर्व हो चेन्नई में ऐसा लगता है कि हम बीकानेर में ही हैं । कार्यक्रम में कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी ने इनकी आत्मीयता और सद्व्यवहार की प्रशंसा की । उन्होंने कहा कि ये परिवार लोकजीवन से सराबोर हर उत्सव को आत्मसात करते हैं । जोशी ने चेन्नई के अपने संस्मरण साझा करते हुए मारवाड़ी समाज की गतिविधियों को विस्तार से बताया । दोनों विभूतियों का शॉल एवं अपर्णा भेंटकर अभिनन्दन किया गया । आभार सौरभ स्वर्णकार ने ज्ञापित किया ।

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