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बीकानेर,मानव धर्म प्रचार सेवा संस्थान व शिक्षाविद विमला देवी आचार्य परिवार के संयुक्त संयोजन मे समाजसेवी राधेश्याम आचार्य” की स्मृति में शीतला गेट मन्दिर के पास आचार्य पैलेस में हो रही श्रीमद्भागवत सप्ताह का शुभारंभ दोपहर 2:30 से प्रथम दिवस “श्रीछैल बिहारी जी महाराज” के मुखारविंद से भागवत कथा वाचन सदग्रहस्थ संत मनुजी महाराज के सानिध्य मे शुभारंभ हुआ।उपरोक्त कथा शिक्षाविद “श्रीमती विमला देवी परिवार द्वारा समाजसेवी राधेश्याम आचार्य की स्मृति” में कथा हो रही है”। भागवत महात्म्य की विस्तृत व्याख्या भक्ति ज्ञान वैराग्य प्रसंग द्वारा बालसंत जी ने नारद जी द्वारा भक्ति भक्ति ज्ञान वैराग्य के कष्टों की निवृत्ति हेतु सनतकुमारों से कथा श्रवण कराने का प्रसंग विस्तृत व्याख्या द्वारा बतलाया गया। भागवत कथा श्रवण चिंतन एवं मनन करने संबंधित एवं भागवत कथा को सप्त दिवसीय सुनते हुए उसमे दिये गये नियमों का पालन करने की महत्वता बतलाते हुए श्री छैल बिहारी जी ने भक्ति ज्ञान वैराग्य के कष्टों की निवृत्ति के साथ-साथ भागवत महात्म्य का श्रवण करवाते हुए “सकाम भक्ति एवं निष्काम भक्ति” के प्रसंग के माध्यम से भागवत एवं समस्त पुराणों मे भोग की व्याख्या के बारे में बतलाया गया… बालसंत श्रीछैल बिहारी महाराज ने भक्ति ज्ञान वैराग्य के बारे में विस्तृत बतलाते हुए बताया जीवन में भक्ति करने इसलिए अनिवार्य है के प्रारंभ में किए गए या वर्तमान में जाने-अनजाने किए गए पाप कर्मों से अगर मुक्ति और मोक्ष चाहिए तो परमात्मा की भक्ति ही एकमात्र विकल्प है। और दैहिक दैविक भौतिक त्रिविध प्रकार के तापों व पापों का शमन करने का सामर्थ्य केवल मात्र श्रीमद् भागवत सप्ताह कथा में ही मुमकिन।समस्त पुराणों का तिलक बताया गया है भागवत जी को”बालसंत जी ने बताया कि जीवन मे भोग तो आपको अपने कर्मानुसार भोगने ही पड़ेंगे,,, अच्छा करोगे अच्छा भोगोगे, बुरा करोगे बुरा भोगोगे। फिर भी हम अपने क्षणिक सुखों को पाने के लिये जाने अन्जाने पापकर्म कर बेठते हे।हम सब मे वो अविनाशी परमात्मा का आत्मा मे निवास है,”वो गलत सही का भेद भी अंतर्मन से करवाता है”। फिर हम अगर नहीं माने तो एक दिन हमारा कर्म ही हमारा निर्माण ओर विनाश का जिम्मेदार होगा।अत: हर जीव निस्वार्थ भक्ती करे।तो सद्बबुद्धि ही हमारा जीवन जीने का हुनर बन जाती है। व्यास तिलक व श्रीमद भागवत पुराण का पुजन दुर्गा दास आचार्य धर्म पत्नि कलावती आचार्य ने सप्तनिक भागवत पुजन करवाया।।भागवत कथा में सेवा श्रम हेतु दुर्गा दास मनोज कुमार गोकुल प्रसाद आचार्य,व नवरत्न धामू, हरिकिशन नागल, ओमप्रकाश कुलरिया, देेवकिशन गैपाल,नितेश आसदेव,नंदनंदनी पुरोहित एवं पंडित दीनदयाल सारस्वत शास्त्री कथा मैं व्यवस्था में सेवा दे रहे हैं है। कथा प्रभारी हैमन्त देराश्री व नृपेन हर्ष को बनाया गया है।

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