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बीकानेर,जयपुर, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री सुमित गोदारा ने मंगलवार को विधानसभा में कहा कि बंधुआ श्रमिक के पुनर्वास के लिए राज्य सरकार द्वारा एक से तीन लाख की आर्थिक सहायता दिये जाने का प्रावधान है। जिला प्रशासन द्वारा विभिन्न विभागों के समन्वय से बंधुआ श्रमिक के आर्थिक और सामाजिक पुनर्वास का कार्य किया जाता है। उन्होंने जानकारी दी कि जिलों में गठित सतर्कता समिति के माध्यम से बंधुआ श्रमिकों का नियमित सर्वे करवाया जाता है।

खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री प्रश्नकाल के दौरान सदस्यों द्वारा इस संबंध में पूछे गए पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि बंधक श्रमिकों के लिए केन्द्र सरकार द्वारा भी विशेष सर्वे करवाया जा रहा है। अब तक कोटा, गंगानगर, जयपुर में सर्वे करवाया जा चुका है। वर्तमान में उदयपुर जिले में सर्वे की प्रक्रिया जारी है। उन्होंने बताया कि मुक्त श्रमिक के पुनर्वास के लिए विभिन्न श्रेणियों में एक लाख से तीन लाख तक की आर्थिक सहायता दी जाती है। इसमें तात्कालिक सहायता के रूप में 30 हजार रुपये दिये जाते हैं तथा शेष राशि का भुगतान नियोजक के दोषी सिद्ध होने पर संबंधित जिला कलक्टर के माध्यम से कराया जाता है।
इससे पहले विधायक अमृतलाल मीणा के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री ने कहा कि बंधक श्रमिक की शिकायत/सूचना प्राप्त होने पर बंधक श्रम पद्दति (उत्सादन) अधिनियम, 1976, राज्य सरकार द्वारा जारी मानक संचालन प्रक्रिया तथा केन्द्रीय बंधक श्रमिक पुनर्वास योजना-2021 के अनुसार कार्यवाही की जाती है। उन्होंने बताया कि बंधुआ श्रम प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम, 1976, के तहत उच्चतम न्यायालय द्वारा बंधुआ श्रमिक मुक्ति मोर्चा बनाम भारत संघ व अन्य के प्रकरण में जारी निर्णय दिनांक 16 दिसम्बर 1983 की प्रति निर्णय की प्रति सुलभ सन्दर्भ हेतु इंटरनेट लिंक https:// webapi.sci.gov.in/jonew/judis/9643.pdf पर उपलब्ध है।
गोदारा ने बताया कि केन्द्रीय क्षेत्र बंधक श्रमिक पुनर्वास योजना-2021 के तहत् 3 वर्ष में एक बार सर्वे करवाया जाना अपेक्षित है। तदापि बंधक श्रम उन्मूलन हेतु राज्य सरकार द्वारा जारी मानक संचालन प्रक्रिया दिनांक 03 मई 2017 के तहत् उपखण्ड स्तर पर बंधक श्रमिकों से संबंधित सूचना वर्ष में 2 बार संकलित की जाती है।

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