बीकानेर,नगर निगम बीकानेर की ओर से विवाह स्थल का पंजीयन-उप विधियां 2010 के नाम से पंजीकृत विवाह स्थलों के संचालकों को नोटिस भेजकर परेशान किया जा रहा है वहीं दूसरी ओर औद्योगिक क्षेत्र व शहर के अनेक अवैध रूप से संचालित अपंजीकृत विवाह स्थलों पर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। निगम आवेदन के बाद भी 2017 के बाद किसी विवाह स्थल का पंजीयन नहीं कर रहा है। अनेक विवाह स्थलों के पंजीयन के लिए आवेदन 8 वर्षों से पेडिंग पड़े है।
विवाह स्थलों के संचालकों ने बताया कि नगर निगम के पूर्व महापौर भवानी शंकर शर्मा ने विवाह, सगाई व मांगलिक और अन्य पारिवारिक व सामाजिक कार्यों के लिए संचालित भवनों का किराया 4 रुपए मीटर 2014 में तय किया था, जिससे बढ़ाकर 20 रुपए प्रति वर्ग मीटर कर दिया गया। नगर निगम में 7 फरवरी 2014 को महापौर स्वर्गीय भवानी शंकर शर्मा ने बीकानेर के विवाह स्थलों भवन मालिकों क एसोसिएशन द्वारा दिए गए ज्ञापन में विचार विर्मश कर दिया गया। भवन की नवीनीकरण की राशि पांच हजार रुपए, सी. क्लास के लिए 4 रुपए प्रति वर्ग मीटर विवाह स्थल उपभोग एवं उपयोग शुल्क प्रतिवर्ष देय तय किया। स्वच्छता शुल्क ’’ए’’श्रेणी के लिए रुपए 750 प्रति समारोह, बी.श्रेणी के लिए 500 रुपए प्रति समारोह सी.श्रेणी के लिए 300 रुपए प्रति समारोह तय किया था जिसे भी बढ़ाकर 2000 रुपए कर दिया है। नगर निगम के ठेकेदार के प्रतिनिधि भवन मालिकों के पास जाकर 2000-2000 रुपए की राशि वसूल रहे है। जमा राशि की भी प्रमाणित प्रिंटेड रसीद नहीं दे रहे है।
भवन मालिकों ने बताया कि कोरोना काल में 2020-2022 के सत्र में अनेक भवन बंद रहे। कार्मिकों व सफाई आदि के खर्चे लगे। करोना काल में हुए भवनों के रखरखाव की घाटापूर्ति तीन वर्षों के बाद भी नहीं हुई है। उधर नगर निगम की नोटिसों की मार ने उन्हें परेशान कर रखा है। निगम भवन मालिकों व संचालकों के साथ असमानता पूर्ण व्यवहार कर रहा है। चंद भवन संचालकों को नोटिस ही दिए वहीं कई अवैध संचालित भवनों को नोटिस ही नहीं दिए है। निगम बीकानेर में संचालित भवनों का सही तरीके से सर्वेक्षण भी नहीं कर रहा है।
नगर निगम क्षेत्र में विवाह स्थल से आमजन को होने वाली असुविधा एवं निगम द्वारा संपादित सेवाओं पर बढ़ते दबाव के कारण विवाह स्थलों के संचालन के नियंत्रण के लिए जनहित में उपविधियां 2010 बनाई गई। राजस्थान नगर पालिका अधिनियम 2009 (2009 का अधिनियम संख्या 18) की धारा 340 के तहत प्रदत शक्तियों का प्रयोग करते हुए उपविधियां बनाई गई। नगर निगम की ओर से इस कानून की पालना करवाने में असामनता का व्यवहार करने, सामाजिक,आर्थिक व राजनीतिक प्रभावशाली व्यक्तियों के भवनों को राहत देने से भवन संचालकों में असंतोष व्याप्त है। निगम के कानून की पालना करने वालों को अधिक परेशान किया जा रहा है वहीं अवैध रूप से छदम नामों से संचालित विवाह स्थलों को राहत दी हा रही है। भवन मालिकों व संचालकों ने नगर निगम से सभी भवनों के प्रति समानता का व्यवहार रखने, सभी भवनों का सर्वेक्षण सही करवाने, कानून व नियमों की पालना करवाने वालों को राहत देने की मांग की है।