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बीकानेर, जल विज्ञान एवं जल प्रबंधन संस्थान बीकानेर के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार को “विश्व जल दिवस” मनाया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संयुक्त निदेशक वीरेन्द्र सिंह राठौड ने कहा कि विश्व जल दिवस महज औपचारिकता नहीं है बल्कि जल संरक्षण का संकल्प लेकर अन्य लोगों को इस संर्दभ में जागरूक करने का अवसर है।
उन्होंने कहा कि जल पृथ्वी पर जीवन का मुख्य स्त्रोत है। इसके बिना जीवन संभव नहीं है। हमें स्वस्थ रहने और पर्यावरण की रक्षा के लिये पानी को संरक्षित करना होगा।
उन्होंने कहा कि पानी बचाने की पहल पानी बर्बादी रोकने के साथ शुरू हो सकती है। जहां लोगों को मुश्किल से पानी मिलता है, वहां लोग जल के महत्व को समझते है। उन्होंने आमजन में जल के संरक्षण और रख-रखाव पर जागरुकता की दिशा में कार्य करने की अपील की।

कार्यक्रम में उपनिदेशक (कृषि) जयदीप दोगने ने बताया कि वर्ष 2024 को वाटर फॉर पीस के रूप में मनाया जाएगा। पूर्व में पश्चिमी राजस्थान में परम्परागत रूप से जल कुण्ड, बावड़ी आदि बनाकर वर्षा जल को इकट्ठा कर वर्ष भर इसका उपयोग किया जाता था। दोगने ने जल की कमी और घटते जल स्तर के बारे में भी चर्चा करते हुए बताया कि 70 प्रतिशत जल का उपयोग कृषि कार्यों में होता है। अतः खेती में जल बचत हेतु कृषकों को सतही सिंचाई तरीके को छोड़कर फव्वारा सिंचाई या बूंद बूंद सिंचाई पद्धति को अपनाना चाहिए। जिससे 60 से 70 प्रतिशत सिंचाई जल की बचत होगी। साथ ही इस बचे हुए सिंचाई जल से कृषक फसल बुवाई क्षेत्र बढ़ाकर कुल उत्पादन व आय में वृद्धि कर सकते है।
इस अवसर पर कार्यालय के कर्मचारियों को जल का समुचित उपयोग एवं दुरूपयोग रोकने की शपथ भी दिलाई गई। कार्यक्रम में सतीश यादव, अखिला जौरा, दिनेश आर्य, विरेन्द्र राजपुरोहित, चनप्रीत सिंह सहारन, वन्दना स्वामी, अब्दुल रज्जा, राजूराम आदि उपस्थित रहे।

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