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बीकानेर, राजकीय डूंगर महाविद्यालय बीकानेर में योग की भारतीय परंपरा और विश्व शांति विषयक सार्थक प्राध्यापक परिचर्चा आयोजित की गई जिसमें विश्व शांति स्थापित करने में भारतीय योग परंपरा के योगदान का विश्लेषण किया गया। जैनोलॉजी विभाग प्रभारी डॉ बबीता जैन ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि वसुधैव कुटुंबकम के विचार का उदय भारत में होना योग और ध्यान की परंपरा का ही परिणाम है। प्राचार्य डॉ जीपी सिंह ने भौतिक विज्ञान के दृष्टिकोण से विचार रखते हुए कहा कि इस प्रकृति का अंतिम परिणाम अव्यवस्था है किंतु मनुष्य की प्रकृति व्यवस्था बनाने की ओर है। योग व्यवस्थीकरण की सार्थक वैज्ञानिक प्रक्रिया का नाम है। डॉ राज नारायण व्यास ने दार्शनिक दृष्टिकोण से पतंजलि के योग सिद्धांत का विश्लेषण प्रस्तुत किया। समूह चर्चा में डॉ नरेंद्र नाथ, डॉ मात्रृ दत्त शर्मा, डॉ साधना भंडारी, डॉ अजय नागर, डॉ सोनू शिवा, डॉ नीरू गुप्ता, डॉ मैना निर्वाण, डॉ सुनीता गोयल, श्री सीताराम चाहलिया, डॉ ललित वर्मा, श्री गणेश मूंदड़ा, श्री ओम प्रकाश, श्री घनश्याम बिठु, श्री शशिकांत आचार्य, मनेश कंवर,प्रभा इत्यादि ने अपनी सहभागिता दी।

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