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बीकानेर संभाग के सबसे बड़े पीबीएम अस्पताल के तीन साल में तीन अधीक्षक बदले गए हैं लेकिन समस्या का समाधान कहीं पर भी नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में अब नए अधीक्षक डॉ. पीके सैनी इन समस्याओं का निराकरण कैसे करेंगे। क्योंकि अस्पताल में अव्यवस्थों तथा स्टाफ की कमी के चलते आए दिन झगड़े भी होते हैं। हालांकि अब तक जितने भी अधीक्षक आए हैं, उन्होंने सरकार को स्टाफ भरने के लिए प्रस्ताव भी भेजते हैं लेकिन समाधान आज तक नहीं हुआ है।

अस्पताल में सबसे बड़ी समस्या सफाई और नर्सिंग स्टाफ की है। नर्सिंग स्टाफ की हकीकत यह है कि जहां एक कर्मी को चार मरीज देखने की जिम्मेदारी है, वे चालीस मरीज देखते हैं। उसके बाद भी इलाज में लापरवाही को लेकर झगड़े होने आम बात हो गई है।

अस्पताल के विभिन्न वार्ड और विभागों की संख्या के अनुसार विभिन्न श्रेणी के सात सौ नर्सिंग कर्मियों की दरकार है, लेकिन ये पद कभी भी नहीं भरे गए थे। यहां 1300 पद स्वीकृत है। इसमें से 700 पद तो लंबे समय से रिक्त चल रहे हैं। इन पदों को भरने के लिए कई बार सरकार को प्रस्ताव भेजे गए हैं, लेकिन पदों को भरने के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए हैं।

मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते
हुए 25 तकनीकी कर्मियों की कमी चल रही है। इस वजह से चौबीस घंटे लैब संचालित करने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है। यहीं कारण है कि सुबह 11 बजे बाद सैंपल नहीं लिए जाते हैं। मरीजों को मजबूरी में निजी लैब से जांच करानी पड़ती है। यहीं समस्या रेडियो डायग्नोसिस विभाग में भी चल रही है। यहां पर रेडियो लॉजिस्ट के अभाव में जांच रिपोर्ट समय पर नहीं हो पाती है। इसके अलावा रेडियोग्राफर की कमी के चलते भी मरीजों की समय पर जांच नहीं होती है। इस वर्ग के 25 पद रिक्त है।

अस्पताल में सीवरेज की सबसे बड़ी समस्या है। इस वजह से कई शौचालय तो बंद ही कर दिए गए हैं। हालांकि इस समस्या के समाधान के लिए टेंडर हो गए हैं लेकिन काम अभी तक शुरू नहीं हो पाया है।
दस साले पहले की व्यवस्था आज भी यथावत

अस्पताल में सफाई व्यवस्था को लेकर दस साल पहले सरकार ने जो व्यवस्था की थी। वह आज भी यथावत है। जानकारी के अनुसार सफाई के लिहाज से दस साल पहले अस्पताल में दस पॉइंट चिन्हित किए गए थे। जबकि इन दस सालों में कई नए भवन बन गए हैं और मरीजों की संख्या भी बढ़ गई है। लेकिन सफाई के लिए पॉइंट नहीं बढ़ाए गए हैं। इस वजह से अस्पताल में सफाई व्यवस्था में सुधार संभव नहीं हो रहा है।

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