बीकानेर,सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज से सम्बद्ध बाल एवं शिशु रोग अस्पताल तथा बीकानेर पीडियाट्रिक सोसायटी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित विश्व स्तनपान सप्ताह सोमवार को विभिन्न प्रतियोगिता में विजेताओं के पुरस्कार वितरण, समारोह के साथ शिशु अस्पताल परिसर के सेमिनार कक्ष में संपन्न हुआ।
स्तनपान जागृति सप्ताह के समन्वयक बाल एवं शिशु अस्पताल के सह आचार्य डॉ.पवन डारा ने बताया कि सप्ताह के दौरान नर्सिंग स्टाफ, नर्सिंग,मेडिकल व पी.जी. विद्यार्थियों, नवजात शिशुओं की विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की गई। ऑनलाइन ऑडियो, वीडियो व संगोष्ठी के माध्यम से शिशुओं के उत्तम स्वास्थ्य के लिए 6 माह तक माता का दूध पिलाने से होने वाले फायदों की उपयोगी जानकारी दी गई।
पुरस्कार वितरण समारोह में बाल एवं शिशु अस्पताल के विभागाध्यक्ष डॉ.आर.के.सोनी ने कहा कि विश्व स्तन पान सप्ताह का उद्धेश्य महिलाओं को स्तनपान एवं कार्य को दृढ़तापूर्वक एक साथ करने की प्रेरणा देता है। पूर्व विभागाध्यक्ष व पी.बी.एम.अस्पताल के पूर्व अधीक्षक डॉ. पी.के.बेरवाल ने बताया कि घरेलू के साथ कामकाजी महिलाओं को उनके स्तनपान संबंधी अधिकार के प्रति जागरूक करना साथ ही घर व कार्य स्थल पर शिशुओं की सुरक्षा के लिए स्तनपान के लिए माहौल को बनाना है, महिलाओं में जागृति लाना है। डॉ. जी.एस.सैगर व डॉ. रेणु अग्रवाल ने भी स्तनपान के महत्व को उजागर किया।
बीकानेर पीडियाट्रिक सोसायटी के अध्यक्ष डॉ.कुलदीप बिट्ठू ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की सिफारिश के अनुसार नवजात शिशु के लिए पीला गाढ़ा, चिपचिपा युक्त मां के स्तनका दूध कोलेस्ट्रम सम्पूर्ण आहार होता है, जिससे बच्चे के जन्म के तुरंत एक घंटें के भीतर ही शुरू कर देना चाहिए। शिशु को छह माह की अवस्था और दो वर्ष अथवा उससे अधिक समय तक स्तनपान कराने के साथ साथ पौष्टिक पूरक आहार देना चाहिए।
बीकानेर पीडियाट्रिक सोसायटी के सचिव डॉ. श्याम अग्रवाल ने बताया कि मां के आंचल में दूध पैदा होना एक नैसर्गिक प्रक्रिया है, जब तक बच्चा दूध पीता है तब तक स्तन में दूध पैदा होता है एवं बच्चे के दूध पीना छोड़ने के पश्चात कुछ समय बाद अपने आप ही स्तन से दूध बनना बंद हो जाता है। स्तनपान से मां और शिशु दोनों के उत्तम स्वास्थ्य, भावात्मक वात्सल्य सहित अनेक फायदें होते है। मां का दूध रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करते हुए शिशुओं, को अनेक रोगों से बचाता है तथा शारीरिक विकास करता है। अस्पताल के सह आचार्य पवन डारा ने बताया कि स्तनपान शिशु के जन्म के पश्चात एक स्वाभाविक क्रिया है। भारत में अपने शिशुओं का स्तनपान सभी माताएं करवाती है। परन्तु पहली बार मां बनने वाली माताओं को शुरू में स्तनपान कराने में सहयोग की दरकार रहती है। चिकित्सक, नर्सिंग स्टॉफ व घर परिवार की जानकार, अनुभवी महिलाएं पहली बार मां बनने वाली महिलाओं का सहयोग, समझाईश कर प्रेरित करें। सही तरीके से स्तनपान नहीं करवाने से बच्चे कुपोषण, दस्त सहित अनेक बीमारियों से पीड़ित हो सकते हैं।
अस्पताल की सह आचार्य डॉ.सारिका स्वामी ने बताया कि शिशु के लिए स्तनपान संरक्षण व संवर्धन का काम करता है। रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति नवजात शिशु में नहीं होती। यह शक्ति मां के दूध से हासिल होती है। मां के दूध में लेक्टोफोर्मिन नामक तत्व बच्चे की आंत व लोह तत्व को बांध लेता है, जिससे रोगाणु नहीं पनप पाते। मां का दूध पीने वाले बच्चे अधिक स्वस्थ, दीर्घायु रहते है तथा मधुमेह सहित अनेक बीमारियों से निजात पाते है। इस अवसर पर विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान नर्सिंग छात्राओं की ओर से बनाएं गए 30 पोस्टरों का प्रदर्शन किया गया। डॉ. गौरव पारीक ने नाल एयर फोर्स स्टेशन में आयोजित कार्यक्रम में स्तनपान के बारे में स्लाइड व व्याख्यान के माध्यम से जानकारी दी।
विभिन्न प्रतियोगिता में ये रहे विजेता
सप्ताह के दौरान डॉ. एम.जी.चौधरी, डॉ.मुकेश बेनीवाल,डॉ.अनिल लाहौटी, डॉ. विश्व मेहरा, डॉ.दीपक मेहरा, डॉ.लक्ष्मण सिद्ध, डॉ.सारिका स्वामी, डॉ.विवेक परिहार,डॉ.अनुभव चौधरी, डॉ.गजानंद सिंह तंवर, डॉ.पवन डारा, डॉ.मोहम्मद अली, सिस्टर कविता, सुनयना, पूनम के सान्निध्य में आयोजित की गई। पोस्टर प्रतियोगिता में दीपा गुंजन, पूजा कूकना, आकांक्षा शर्मा, क्विज में रोबिन यादव, आभा अग्रवाल, तथास्तु बोहरा, पी.जी. विद्यार्थियों की प्रतियोगिता में डॉ.शांता व साहिल, डॉ.गौरव चौहान व डॉ.अक्षय डॉ. विश्व मेहरा व डॉ.न्यूरीन की टीम ने प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त किया। नर्सिंग छात्राओं में अंजना प्रजापत, सोफिना पड़िहार, गौरव जाटव, संगीता कुमावत, लक्ष्मी चौधरी व आशीष शर्मा अव्वल रहे।