
बीकानेर,राज्य सरकार और शिक्षा विभाग स्कूलों पर निजी स्कूलों पर मनमानी रोकने के लिए आदेश तो बहुत निकालते है लेकिन उन आदेशों को मानना या ना मानना निजी स्कूलों के हाथ में है। मनमानी फीस का मामला हो या फिर स्कूल ड्रेस और किताबों का अभिभावक बेबस नजर आते है। छात्र अभिभावक संघर्ष समिति के सचिव योगेश कुमार शर्मा ने बताया कि कई स्कूलों के फीस बढ़ोतरी के लिए पी.टी.ए. (पेरेंट्स टीचर एसोशिएशन) का गठन भी नियामों से नहीं हुआ है अपने लोगों को कमेटी में सदस्य बना कर मनमाने तरीके से फीस बढ़ा देते है, और निजी स्कूलों का किताबों में कमिशन का खेल चलता रहे इस लिए नया तरीका निकाल लिया जिसमें निजी स्कूलों के संचालक किताबे खरीद कर दुकानदारों को दे देते हैं और बिलिंग दुकानदारों के माध्यम से करवाते है। यहां तक की टी.सी. के लिए भी तय किए हुए शुल्क से अधिक वसूले जाते है। संयुक्त अभिभावक संघ के भीम सेन भादाणी राजस्थान की शिक्षा व्यवस्था भेदभाव क्यों कर रही सरकार हरियाणा, मध्य प्रदेश जैसे राजस्थान में भी एन.सी.ई.आर.टी. की पाठ्य पुस्तकों को अनिवार्यता से लागू करने के आदेश दिए जा सकते है लेकिन राजस्थान सरकार और शिक्षा विभाग हर बार बेबस हो जाती है साथ ही बेबस हो जाते है वह अभिभावक जिन्हे मजबूरी में अपने बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए निजी स्कूलों डालना पड़ता है। काफी स्कूल शिक्षा विभाग के नियमों की पालना भी नही कर रही लेकिन निजी स्कूलों की शिकायत मिलने के बाद भी आज दिन तक एक भी स्कूल की मान्यता रद्द या कोई कार्यवाही नहीं हुई। भादानी ने शिक्षा मंत्री को इस संबंध में ज्ञापन दिया था और आगामी बीकानेर दौरे पर समिति और अभिभावकों द्वारा शिक्षा मंत्री को ज्ञापन दिया जाएगा ताकी अभिभावकों को राहत मिल सकें।