
बीकानेर,जयपुर/अजमेर/बीकानेर/अलवर/सीकर,प्रदेश में निजी स्कूलों की मनमानियों का मामला लगातार तुल पकड़ता जा रहा है, स्कूलों की फीस का मामला हो या पाठयपुस्तकों का मामला हो या ट्रांसपोर्ट, सुरक्षा या अन्य मामले हो लगातार उठ रहे मामले अभिभावकों में फैली जनजागृति के प्रमाण दे रहे है, वर्ष 2024-25 का सत्र जहां लगभग खत्म होने की कगार पर है वहीं नया सत्र 2025-26 अपने द्वार खोले विद्यार्थियों का स्वागत करने के लिए तैयार खड़ा है। इन सब के बीच नए सत्र को लेकर जहां एक तरफ निजी स्कूलों की फीस का मामला है जहां स्कूलों 10 से 25 फीसदी तक मनमाने तरीके से स्कूल फीस एक्ट 2016-17 एवं सुप्रीम कोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ाते हुए बढ़ा दी है वहीं पाठयपुस्तकों का मामला भी तुल पकड़ रहा है, जिसमें भी अभिभावक निजी स्कूलों की मनमानियों का शिकार होकर 8 से 10 हजार रु खर्च करने को मजबूर हो रहा है। प्रदेश में अभिभावकों के प्रमुख संगठन संयुक्त अभिभावक संघ ने इन विषयों पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा है कि शिक्षा विभाग के आदेश के बावजूद अगर निजी स्कूल आदेश की धज्जियां उड़ा रहा है तो शिक्षा विभाग इन निजी स्कूलों की मान्यता रद्द कर अपनी शक्तियों का एहसास क्यों नहीं करवाता है। शिक्षा विभाग ने फीस और पाठ्यपुस्तकों के क्रम में वर्ष 2023, 2024 और 2025 में लगातार आदेश जारी किए उसके बावजूद पालना सुनिश्चित नहीं हो रही है तो साफ दिखाई देता है कि शिक्षा विभाग का राज्य में कोई अस्तित्व नहीं है वह केवल अभिभावकों को गुमराह करने के लिए पत्र तो जारी कर देते है किंतु उसकी असल कॉपी निजी स्कूलों के डस्टबिन में फेक कर आ जाते है।
संयुक्त अभिभावक संघ राजस्थान प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि प्रदेश में जिस प्रकार शिक्षा विभाग की कार्य प्रणाली चल रही है उससे देखकर साफ अंदेशा होता है कि विभाग केवल निजी स्कूलों का संरक्षण कर रहा है और हर स्तर पर स्वयं के आदेशों की धज्जियां उड़ाकर केवल अभिभावकों का मजाक उड़ा रहा है। स्कूलों की फीस का मामला हो या पाठ्य पुस्तकों का मामला हो हर स्तर पर अभिभावकों को खुलेआम लूटा जा रहा है जो पुस्तके 1500 से 2000 में मिलनी चाहिए वह पुस्तके 8 से 10 हजार में बिक रही है, जिस ट्रांसपोर्ट व्यवस्था के 2-3 किमी का मासिक खर्चा एक हजार रु होना चाहिए वहां 25 सौ रु मासिक वसूला जा रहा है। स्कूलों ने फीस में भी भारी बढ़ोतरी करते हुए 10 से 25 फीसदी फीस बढ़ा दी है ऐसे में अब अभिभावक चितित है कि ” आमदनी चवन्नी और खर्चा एक रु ” तो कहा से लेकर आए, कैसे बच्चों का भविष्य साकार करे, कैसे उन्हें स्कूलों में पढ़ाए। जबकि प्रदेश में फीस को एक्ट बना हुआ है जिस पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश आए हुए भी 4 साल हो गए किंतु ना राज्य सरकार आदेश की पालना करवा रही है ना शिक्षा विभाग अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहा है अगर प्रदेश में ऐसे ही स्कूलों की मनमानियां चलती रही तो जल्द ही अभिभावकों को सड़को पर विशाल जनांदोलन करना पड़ेगा, जिससे ना केवल स्कूलों की बदनामी होगी बल्कि शिक्षा विभाग और राज्य सरकार को भी अपमानित होना पड़ेगा।