
बीकानेर, राज्य सरकार आरटीई के तहत राज्य के निजी स्कूलों में निशुल्क प्रवेशित विद्यार्थियों की पुस्तकों के 202 रूपए संबंधित विद्यार्थियों के बैंक खाते में ट्रांसफर करने से संबंध में जैसे ही सरकार ने आदेश जारी किया निजी स्कूल संचालकों ने नाराजगी व्यक्त करने लगे हैं पूर्व व्यवस्था को ही लागू करने की मांग करने लगे। इस संबंध में छात्र-अभिभावक संघर्ष समिति, बीकानेर के विक्रम सिंह ने सरकार की इस कदम की सराहना करते हुए कहा कि सरकार का यह अच्छा कदम है यदि सरकार पूर्व व्यवस्था लागू करती है तो जन आंदोलन किया जाएगा। साथ ही बिना आरटीई वाले विद्यार्थियों पर भी किताबों का बोझ ना पड़े इस लिए शिक्षा विभाग ने नियम निकाले है। सरकार के इस आदेश के खिलाफ निजी स्कूल संचालकों ने अपना आक्रोश प्रकट कर रहे है जो जनहित के लिए अनुचित है। शिक्षा का व्यवसायीकरण नही होने देंगे राजस्थान में पूर्व में ही फीस अनुचित तरीके से बढ़ाकर मनमानी की जा रही है। अब छात्र- अभिभावक एक जुट होकर निजी शिक्षण संस्थानों के खिलाफ आवाज उठायेगे। ज्ञात हुआ है निजी स्कूल संचालक किताबे खरीद कर दुकानदारों को दे देते हैं और बिलिंग दुकानदारों के माध्यम से करवाते है और कुछ निजी स्कूल अपने लोगो की कमेटी बना कर मनमाने तरीके से हर वर्ष फीस बढ़ा रहे है जिसकी सूचना कई बार जिला शिक्षा अधिकारी को भी दी गई लेकिन निदेशालय ने कोई साहसिक कदम नहीं उठाया। यहां तक की टीसी के लिए भी तय किए हुए शूल्क से अधिक वसूले जाते है। इस संबंध में भीम सेन भादाणी ने दंडवत करते हुए अपने निवास से कलेक्ट्रेट पहुचे, योगेश कुमार शर्मा ने भी कई बार इस कार्यवाही से सम्बंध में जानकारी लेनी चाही लेकिन हर बार जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय द्वारा टालमटोल किया गया। देवेन्द्र सिंह मेडतिया ने इस संबंध में लम्बे समय से प्रयासरत है। काफी स्कूल शिक्षा विभाग के नियमों की पालना भी नहीं कर रही लेकिन आज दिन तक एक भी स्कूल की मान्यता रद्द या कोई कार्यवाही नहीं हुई।