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बीकानेर,राजस्थान में उम्रकैद की सजा काट रहे कैदी को संतान प्राप्ति के लिए पत्नी के साथ वैवाहिक संबंध स्थापित करने के राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। इससे राजस्थान सरकार को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है।पिछले महीने राजस्थान हाईकोर्ट ने कैदी को संतानोत्पति के लिए पैरोल पर रिहा करने का आदेश दिया था। राजस्थान सरकार इस आदेश को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। राजस्थान सरकार की तरफ से एजी मनीष सिंघवी ने पक्ष रखा। सु्प्रीम कोर्ट से मामले में हस्तक्षेप की मांग की।आज जस्टिस एएस बोपन्ना के नेतृत्व वाली खंडपीठ ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी।राजस्थान मे उम्रकैद की सजा काट रहे कैदी को संतान प्राप्ति के लिए पत्नी के साथ वैवाहिक संबंध स्थापित करने के राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसले के खिलाफ राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

हाईकोर्ट ने 15 दिन का पैरोल दिया था

उल्लेखनीय है कि राजस्थान के भीलवाड़ा के 34 साल के नंदलाल को एडीजे कोर्ट ने 6 फरवरी 2019 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। तब से वह अजमेर की जेल में बंद था।18 मई 2021 को उसे 20 दिन की पैरोल मिली थी। उसके बाद वह निर्धारित तिथि को लौट आया था। इसके बाद कैदी नंदलाल की पत्नी ने अजमेर कलेक्टर, जो पैरोल कमेटी के चेयरमैन भी हैं को अर्जी दी थी। कलेक्टर ने जब अर्जी पर कोई फैसला नहीं लिया तब पत्नी हाईकोर्ट पहुंच गई, जिसके बाद हाईकोर्ट ने 15 दिनों का पैरोल देने का आदेश दिया। राजस्थान सरकार ने दी थी चुनौती

राजस्थान हाईकोर्ट ने उम्रकैद की सजा काट रहे कैदी को संतान प्राप्ति के लिए 15 दिन की पैरोल दी थी। राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस संदीप मेहता और फरजंद अली की खंडपीठ ने कहा था कि वैसे पैरोल रूल्स में संतान प्राप्ति के लिए पैरोल का कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन वंश के संरक्षण के उद्देश्य से संतान होने को धार्मिक दर्शन, भारतीय संस्कृति और विभिन्न न्यायिक घोषणाओं के माध्यम से मान्यता दी है। इसके बाद राजस्थान सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।

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