बीकानेर,महाराजा गंगा सिहं विश्वविद्यालय, बीकानेर द्वारा आयोजित प्राचार्य संवाद कार्यक्रम में आज चूरू जिले में स्थापित संबंद्व महाविद्यालयों के प्राचार्यों के साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 एवं राजस्थान मिशन-2030 विषय पर चर्चा एवं संवाद आयोजित हुआ।
विश्वविद्यालय मीडिया प्रभारी डॉ॰ मेघना शर्मा ने बताया कि
संवाद कार्यक्रम में एमजीएसयू कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित ने कहा कि किसी भी नीति को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए समय-समय पर संवाद एवं चर्चा की जानी चाहिए जिससे वह नीति सफलता की ओर अग्रसर हो पाती है। प्राचार्य संवाद कार्यक्रम के प्रारम्भ में माँ सरस्वती वन्दना एवं अतिथियों का स्वागत किया गया।
आरंभ में कुलसचिव अरूण प्रकाश शर्मा ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 एवं राजस्थान मिशन-2030 विषय पर विश्वविधालय द्वारा की जा रही कार्यवाही एवं गतिविधियों से प्राचार्यों को अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि प्राचार्यों के सुझाव विश्वविधालय के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि उनके आधार पर ही भविष्य में विश्वविद्यालय आगामी कार्ययोजना तैयार कर उनके क्रियान्वयन में अग्रणी भूमिका निभायेगा।
अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति आचार्य दीक्षित ने कहा कि नई शिक्षा नीति को धरातल पर लाने के लिए विश्वविद्यालय व महाविद्यालयों को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। लेकिन उसके बावजूद विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास को केन्द्र में रखकर बनाई गई शिक्षा नीति को सकारात्मक व प्रभावी ढंग से लागू करने में प्रयास शिक्षक साथियों और शैक्षिक संस्थाओं के प्राचार्यो की महती भूमिका रहेगी । महाविद्यालय विद्यार्थियों और शिक्षकों से मंथन एवं विचार करके प्रतिमान स्थापित कर सकते है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारतीय शिक्षा परम्परा की सोच विकसित करते हुए विद्यार्थियों को मूल्यपरक शिक्षा की ओर अग्रणी करेगी। किसी नीति के क्रियान्वयन में आने वाली सम्भावित समस्याओं का निराकरण चर्चाओं से ही सम्भव है। उन्होंने प्राचार्यों से आग्रह किया कि वे राष्ट्रीय शिक्षा नीति का अध्ययन करें और उसकी मूल भावना को समझते हुए विद्यार्थियों को प्रेरित करने का पुनीत कार्य करें। आज की भावना के अनुसार विद्यार्थियों को अधिक-अधिक उच्च षिक्षा से जुड़ने के लिए कार्य किया जाना चाहिए।
प्रो. दीक्षित ने अपने संबोधन में कहा कि गुणवत्तापूर्ण व कौशल आधारित शिक्षा नई शिक्षा नीति का मुख्य आधार है जिसमें भारतीय पुरातन ज्ञान परम्परा और आधुनिकता का समावेश है। नई शिक्षा नीति को सूचना प्रौद्योगिकी एवं नई तकनीक को आधार बनाकर प्रभावी ढंग से लागू किया जा सकता है। प्रो दीक्षित ने राजस्थान व महत्वाकांक्षी मिशन 2030 पर बात करते हुए कहा कि इसके माध्यम से राज्य सरकार समाज के सभी वर्गाें विशेष रूप से विद्यार्थियो के सुझाव को आमंत्रित कर एक विजन डाक्यूमेंट तैयार कर रही है। इसमें हमारी इस संवाद चर्चा के बिन्दु भी उसमे जोडे जायेंगे।
कुलपति ने कहा कि महाविद्यालयों में स्मार्ट क्लास रूम विकसित कर क्षेत्र के विद्यार्थियों को आॅनलाइन माध्यम से शिक्षाविदों के विचारों को सुनने का अवसर प्रदान करना चाहिए। आने वाला समय डिजिटलाइज्ड होने के कारण ई-क्नटेन्स के माध्यम से विद्यार्थियों को अध्ययन का अवसर प्राप्त होना चाहिए। विश्वविद्यालय आगामी समय में प्रश्न बैंक का निर्माण कर शिक्षकों के माध्यम से निरन्तर प्रश्नों का संग्रह कर विद्यार्थियों के परीक्षा आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा ऐसा हमारा विश्वास है।
संवाद कार्यक्रम में उपस्थित प्राचार्यो ने एक-एक करके सुझाव दिये। स्वागत भाषण विश्वविद्यालय के अतिरिक्त कुलसचिव व प्राचार्य संवाद कार्यक्रम के संयोजक डाॅ. बिट्ठल बिस्सा ने कहा कि शिक्षा नीति में शैक्षणिक गुणवत्ता के साथ-साथ संस्थाओं के शैक्षिक उन्नयन को भी ध्यान में रखा गया है तथा विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों को इस प्रकार से तैयार किया गया है कि विद्यार्थी के पास वैकल्पिक विषयों के चयन में भी छूट दी गई है। साथ ही वि.वि. शैक्षणिक संस्थाओं व विद्यार्थियों से प्राप्त सुझावों को मिशन 2030 के लिए एकत्रित कर सरकार को भेजंेगें।
परीक्षा आयोजन संबंधी जानकारी परीक्षा नियत्रंक प्रो. राजाराम चोयल ने प्राचार्यो को दी। इसी सत्र से स्नातक स्तर पर सभी संकायों में सेमेस्टर प्रणाली लागू कर दी गई है और प्रथम सेमेस्टर की परीक्षाएं जनवरी 2024 में आयोजित होने जा रही है।
धन्यवाद ज्ञापन चूरू बालिका महाविद्यालय, चूरू की प्राचार्य श्रीमती आशा कोठारी ने दिया।