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बीकानेर,राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के 100 वर्षों की यात्रा में एक ऐतिहासिक क्षण वह था, जब 1963 में गणतंत्र दिवस परेड के दौरान स्वयंसेवकों ने राजपथ (अब कर्तव्य पथ) पर अनुशासित कदमताल की। यह अवसर तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के अनुरोध पर आया था, जिन्होंने 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान आरएसएस कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए अनुकरणीय सेवा-कार्य को स्वीकार करते हुए उन्हें गणतंत्र दिवस पर आमंत्रित किया था। आरएसएस इस क्षण को आज भी गर्व से स्मरण करता है।

आरएसएस के शताब्दी वर्ष पर इस स्मृति को हमेशा के लिए संरक्षित करने हेतु भारत सरकार ने विशेष डाक टिकट और स्मारक सिक्का जारी करने का निर्णय लिया है। इनका लोकार्पण आज 1 अक्टूबर 2025 को माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा डॉ. अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र, नई दिल्ली में किया जाएगा।

सिक्को का संग्रह और अध्यन करने वाले प्रसिद्ध मुद्राशास्त्री बीकानेर के सुधीर लुणावत के अनुसार यह सिक्का 40 ग्राम शुद्ध चांदी से बना है भारत सरकार की कोलकता टकसाल में बने इस सिक्के पर एक तरफ भारत माता को सेल्यूट करते तीन स्वयंसेवक दिखाए गए है जिसकी ऊपरी परिधि पर हिंदी में तथा निचली परिधि पर अंग्रेजी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100 वर्ष लिखा है ।
भारत माता के चित्र के नीचे संस्कृत की एक पंक्ति “राष्ट्राय स्वाहा, इदं राष्ट्राय इदं न मम” लिखी होगी ।
सिक्के के दूसरी तरफ अशोक स्तम्भ अंकित होगा जिसके नीचे रुपए के प्रतीक चिन्ह के साथ मूल्यवर्ग 100 लिखा होगा ।
जिसके दाएं और बाएं हिंदी तथा अंग्रेजी में भारत लिखा होगा ।

वहीं 5 रुपए का एक डाक टिकट जो प्रधानमंत्री आज जारी करेंगे इस स्मारक डाक टिकट पर 1963 की परेड का दृश्य और आरएसएस द्वारा आपदा प्रबंधन और सेवा कार्यों को दिखाया गया है ।

संघ के शताब्दी वर्ष में जारी यह डाक टिकट और स्मारक सिक्का, संघ की राष्ट्रभक्ति, अनुशासन और सेवा की सौ वर्षीय यात्रा के प्रतीक बनकर इतिहास में दर्ज होंगे।

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