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बीकानेर,श्री परशुराम सेवा समिति द्वारा शुक्रवार को राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के अध्यक्ष श्री शिवराज छंगाणी का नागरिक अभिनंदन किया गया। श्री सार्दुल पुष्करणा स्कूल सभागार में आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि शिक्षा, कला एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला थे।
इस अवसर पर डॉ. कल्ला ने राजस्थानी भाषा में उद्बोधन दिया। उन्होंने कहा कि बीकानेर गहरी सोच के धनी लोगों का शहर है। यहां के लोग परपीड़ा को समझने वाले हैं। बीकानेर के साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं में इस सौरम का बेहतरीन चित्रण किया है। उन्होंने कहा कि शिवराज छंगाणी के साहित्यिक योगदान को देखते हुए उन्हें अकादमी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। उन्होंने विश्वास जताया कि छंगाणी के नेतृत्व में राजस्थानी साहित्य को नई दिशा मिलेगी। उन्होंने कहा कि अकादमी ने भाषा और साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है। अब संस्कृति के क्षेत्र में भी अकादमी द्वारा कार्य किए जाएं। उन्होंने कन्हैया लाल सेठिया और उनकी रचनाओं को याद किया।
कला एवं संस्कृति मंत्री ने कहा कि राजस्थान विधान सभा द्वारा वर्ष 2003 में राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पास किया गया। इसे मान्यता मिले, इसके लिए सतत और सामूहिक प्रयास किए जाएं ।
श्री परशुराम सेवा समिति के अध्यक्ष नवरत्न व्यास ने समिति की गतिविधियों के बारे में बताया।
कार्यक्रम में प. जुगल किशोर ओझा ‘पुजारी बाबा’, डॉ. बाल नारायण पुरोहित, राजेश चूरा, राजेंद्र किराडू, सुशील किराडू बतौर अतिथि मौजूद रहे। अतिथियों ने राजस्थानी साहित्य सृजन में छंगाणी के योगदान को सराहनीय बताया और कहा कि इसे कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।
इससे पहले शिक्षा मंत्री ने भगवान परशुराम के चित्र के समक्ष माल्यार्पण किया।
इस दौरान श्रीलाल व्यास, महेश व्यास, भंवर पुरोहित, पृथ्वी राज रतनू, एड. हीरालाल हर्ष, डॉ. कृष्णा आचार्य, डॉ. प्रशांत बिस्सा, डॉ. गौरी शंकर प्रजापत, श्रीलाल रंगा, शिव कुमार व्यास, अश्विनी हर्ष, राजकुमार जोशी, विष्णु दत्त व्यास, मनमोहन कल्ला, सुरेंद्र व्यास, सूर्यकांत व्यास, शिव शंकर बिस्सा, शिव कुमार व्यास, मदन मास्टर, नारायण दास किराडू, भरत पुरोहित, ललित छंगाणी, सुरेश व्यास सहित अनेक लोग मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन किशन लाल ओझा ने किया।

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