बीकानेर,शिक्षक दिवस’ के मौके पर भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में देश भर के 45 शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए।
शिक्षक एक ऐसा व्यक्तित्व होता है, जो हर व्यक्ति के जीवन में एक प्रेरणा का स्रोत होते हैं। जीवन के शुरुआती दिनों से लेकर मुकाम तक पहुंचाने में शिक्षक का अहम योगदान रहता है। जीवन के आधार से जुड़े शिक्षकों की बात जब भारत के दृष्टिकोण से हो, तो इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है। गुरु शिष्य की परंपरा से परिपूर्ण और भारतीय संस्कृति से अनोखे जुड़ाव को आगे बढ़ाने के लिए हर वर्ष शिक्षक दिवस का आयोजन पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एस. राधाकृष्णन की स्मृति में उनकी जयंती पर किया जाता है। सोमवार यानि 5 सितंबर को देश गुरु शिष्य की जोड़ी के अपनापन का त्योहार ‘शिक्षक दिवस’ मना रहा है।
‘शिक्षक दिवस’ के मौके पर भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में देश भर के 45 शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए। शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान करने का उद्देश्य देश के बेहतरीन शिक्षकों के योगदान का जश्न मनाना है। राष्ट्रपति मुर्मू ने शिक्षकों से छात्रों में प्रश्न पूछने और संदेह व्यक्त करने की आदत को प्रोत्साहित करने का आगाह किया।
बीकानेर की राजकीय उच्च माध्यमिक बधिर विद्यालय में विज्ञान की शिक्षिका सुनीता गुलाटी को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में राष्ट्रपति सम्मानित किया। इस मौके पर देश भर से 45 शिक्षकों को भी सम्मानित किया गया। सुनीता को मिले सम्मान से बीकानेर के शिक्षा जगत के क्षेत्र में खुशी की लहर छाई हुई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी हुई मुलाकात। गुलाटी ने बताया कि राष्ट्रपति पुरस्कार मिलने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी देश के सभी 45 शिक्षकों से मुलाकात की और एक ग्रुप फोटो भी करवाया। शाम को शिक्षा मंत्री की तरफ से आयोजित भोजन मैं सभी लोगों ने हिस्सा लिया।
बीकानेर आने पर होगा स्वागत राष्ट्रपति पुरस्कार मिलने के बाद पहली बार बीकानेर आने पर सुनीता गुलाटी का स्वागत किया जाएगा। सूत्रों ने बताया कि बुधवार की शाम 4:00 बजे बीकानेर रेलवे स्टेशन से समता नगर स्थित उनके निवास तक रेली के रूप में ले जाया जाएगा।