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बीकानेर भैरव अष्टमी पर्व 27 नवंबर को मनाया जाएगा। घरों और मंदिरों में भैरव नाथ की पूजा अर्चना कर आरती की जाएगी। भैरव अष्टमी को लेकर घरों और मंदिरों में तैयारियां शुरू हो गई है। मंदिर परिसरों की साफ-सफाई के साथ रंग रोगन का काम शुरू हो गया है। भैरव अष्टमी के दिन होने वाले धार्मिक अनुष्ठानों की तैयारियां भी शुरू हो गई है। इस दिन भैरव भक्त भैरवनाथ का तेल, सिंदूर, बर्ग, मालीपाना, इत्र, धूप, दीप, नेवैद्य, ऋतुफल, श्रीफल, पुष्प आदि पूजन सामग्री से पूजन कर मोगरी के चूरमें का विशेष भोग

अर्पित करेंगे। घरों और मंदिरों में रूद्राष्टध्यायी पाठ के मंत्रोचार के बीच तेल सेअभिषेक होंगे। भैरव चालीसा, भैरव सहस्त्रनामावलि एवं भैरव सत अष्टोत्तर स्त्रोत,भैरव चालीसा, भैरव स्तुतीगान और भजनों के आयोजन होंगे।

मेले सा रहेगा माहौल

भैरव अष्टमी पर जिले के ग्रामीण
क्षेत्रों में स्थित भैरव मंदिरों में पूजन अभिषेक के दौर चलेंगे। इस दौरान मेले सा माहौल रहेगा।

कोलायत तहसील के सियाणा गांव स्थित सियाणा भैरव मंदिर, कोडमदेसर भैरव और श्रीडूंगरगढ़ स्थित तोलियासर गांव में तोलियासर भैरवनाथ का दर्शन पूजन करने बीकानेर शहर सहित आस पास के ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचेंगे।

शहर से कई श्रद्धालु पदयात्रा कर भैरव मंदिर पहुंचेंगे व धोक लगाएंगे। वहीं कई श्रद्धालु विभिन्न साधनों से सियाणा, कोडमदेसर व तोलियासर पहुंचकर भैरवनाथ के दर्शन पूजन करेंगे।

भैरव अष्टमी का विशेष महत्व

ज्योतिषाचार्य पंडित राजेन्द्र किराडू के अनुसार शास्त्रों एवं धार्मिक ग्रंथों में काल भैरव अष्टमी पर्व का विशेष महत्व बतलाया गया है। धार्मिक ग्रंथों में भैरव को रूद्र का अवतार बताया गया है। घर परिवार की सुख समृद्धि, मनोकामना पूर्ति, व्यापार वृद्धि, बाधा निवृत्ति आदि के लिए भैरवनाथ का विशेष पूजन-अनुष्ठान किया जाता है। इस दिन श्रद्धालु भैरवनाथ का व्रत पूजन करते है।

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