बीकानेर,नोखा के ठिकाने पर पशु प्रेमियों की मदद से चल रहे रेस्क्यू सेंटर को गुपचुप तरीके से बंद करने की तैयारी की जा रही है.रेस्क्यू सेंटर में मौजूद स्वस्थ हिरण व अन्य जानवरों को शिफ्ट करने की जगह अंतिम नहीं है, लेकिन इसके लिए डीएफओ ने उच्चाधिकारियों को पत्र लिखकर मार्गदर्शन मांगा है.
नोखा में एक दशक से वन्य जीवों के लिए रेस्क्यू सेंटर स्थापित है, जहां घायल पशुओं का उपचार कर उन्हें रखा जाता है। यहां वन विभाग के नोखा रेंज के कर्मचारी तैनात हैं, लेकिन इस रेस्क्यू सेंटर के रखरखाव की जिम्मेदारी बिश्नोई समुदाय के लोगों ने उठाई है, जो जानवरों की सुरक्षा के लिए हमेशा सतर्क रहते हैं.
वन विभाग गुपचुप तरीके से इस रेस्क्यू सेंटर को बंद करने में लगा हुआ है. रेस्क्यू सेंटर में 76 हिरण, 49 खरगोश, 16 मोर, 9 नीलगाय और 7 कबूतर हैं, जो ज्यादातर स्वस्थ्य हैं। वन विभाग इन स्वस्थ पशुओं को अन्यत्र शिफ्ट करने का प्रयास कर रहा है। डीएफओ बीकानेर ई-रंगास्वामी ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक व मुख्य वन संरक्षक को पत्र लिखकर इस संबंध में मार्गदर्शन मांगा है. हालांकि, पत्र में सिर्फ स्वस्थ पशुओं को ही शिफ्ट करने का जिक्र है। पता चला है कि मुकाम रेस्क्यू सेंटर के हिरण को चूरू के तालछापर या झुंझुनू भेजने पर विचार किया गया था, लेकिन तालछापर में पहले से ही क्षमता से अधिक हिरण हैं और पशुप्रेमियों के कारण झुंझुनू भेजना आसान नहीं है.
पुराने चिड़ियाघर के रेस्क्यू सेंटर में शिफ्टिंग पर भी विचार किया गया था, लेकिन सुरक्षा के अभाव में जगह फाइनल नहीं हो सकी। गौरतलब है कि पिछले दिनों मुकाम के रेस्क्यू सेंटर में एक हिरण की मौत पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए जमकर विरोध प्रदर्शन हुआ था और उसके बाद वन विभाग को आठ कर्मचारियों को ड्यूटी पर लगाना पड़ा था और अन्य कर्मचारियों को एपीओ नियुक्त करना पड़ा था. वर्तमान में नोखा रेंज में रेंजर के अलावा एक वनपाल, दो सहायक वनपाल व तीन वन रक्षक हैं, जिनमें दो महिलाएं हैं