बीकानेर, प्रदेश के अस्पतालों में डायलिसिस मशीनें चलाने के लिए सरकार ने पहले टेक्निशियन तैयार किए और अब यह काम ठेके पर देने की तैयारी की है। ऐसे में ठेकेदार न्यूनतम वेतन पर मशीन चलाने वालों को रखेंगे। लिहाजा इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि किडनी रोगियों की डायलिसिस नौसिखिए करेंगे। राज्य सरकार की ओर से बजट 2022 की घोषणा में गुर्दा रोगियों को बेहतर इलाज देने के लिए सीएचसी और पीएचसी पर भी निशुल्क डायलिसिस शुरू की गई है। अब भजनलाल सरकार ने 182 सीएचसी पर सुविधा पीपीपी मोड पर देने की तैयारी की है। चार दिन बाद इसका टेंडर खोला जाएगा। ऐसे में अब तक सरकारी सेवा की उम्मीद लगाए बैठे प्रशिक्षित डायलिसिस टेक्निशियन ठगा महसूस कर रहे हैं। प्रदेश में जहां कहीं पर भी टेक्निशियन यूटीबी (अर्जेंट टेम्परेरी बेसिस) पर काम कर रहे हैं, उन्हें 26 हजार वेतन मिलता है, जबकि ठेकेदार के अधीन 7500 रुपए मिलेंगे। ऐसे में नौसिखिए लोगों के हाथ यह व्यवस्था जाने की आशंका जताई जा रही है।
दस साल पुरानी वेकेंसी हो गई गुम
चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से प्रदेश के 6 मेडिकल कॉलेज के लिए 2 जनवरी 2013 में डायलिसिस टेक्निशियन की वेकेंसी की निकाली थी। जयपुर में 2, अजमेर में 4, बीकानेर में 5, जोधपुर-कोटा में 6-6 सहित कुल 29 पदों पर भर्ती की जानी थी। उस समय प्रशिक्षित टेक्निशियन नहीं मिलने से भर्ती नहीं हो पाई थी। दुबारा इस पद के लिए भर्ती नहीं निकाली गई। जानकारी के अनुसार 29 पदों पर भर्ती की स्वीकृति दी गई, लेकिन योग्य टेक्निशियन नहीं मिलने से नियुक्ति नहीं हुई। 2017 में राजस्थान पैरामेडिकल काउंसिल और राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विवि से 2 साल का डिप्लोमा इन डायलिसिस टेक्निशियन शुरू किया गया। प्रदेश के 5 मेडिकल संस्थानों से प्रशिक्षण दिया जा रहा है, लेकिन डायलिसिस टेक्निशियन का कैडर नहीं होने से अब तक नियुक्ति नहीं हो पाई है।