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श्रीडूंगरगढ़. प्रेमचंद का अनुभव संसार बेहद व्यापक है और यह व्यापकता ही किसी रचनाकार को सर्वकालीक, सर्वमान्य व सार्वजनीन बनाता है। किसी भी आलोचक या रचनाकार की प्रेमचंद से असहमति तो हो सकती है पर उन्हें सिरे से खारिज किए जाना कतई सम्भव नहीं है। यह विचार प्रेमचंद जयंती के अवसर पर रविवार को राष्ट्र भाषा हिंदी प्रचार समिति द्वारा आयोजित “आधुनिक साहित्य सन्दर्भ और प्रेमचंद” विषयक संगोष्ठी के मुख्य अतिथि डॉ. मदन सैनी ने व्यक्त किए।
विशिष्ट अतिथि डॉ. चेतन स्वामी ने कहा कि हिंदी कहानियां खूब सारे काल, विषय, विमर्श, रुझान और मूल्यों के बदलाव के दौर से गुजर चुकी है परन्तु आज के कथा प्रसंग भी प्रेमचंद के कथा फलक से विलग नहीं हो पाएं है। अध्यक्षीय उद्बोधन करते हुए साहित्यकार श्याम महर्षि ने प्रेमचंद की रचना संसार के अनेक उदाहरण देते हुए उन्हें बेजोड़ व अनूठे शब्द शिल्पीकार बताया। चर्चा में भाग लेते हुए सत्यनारायण योगी ने प्रेमचंद के साहित्य में गांधीवाद, यथार्थ व आदर्श को रेखांकित किया। साहित्यकार रवि पुरोहित ने प्रेमचंद को भाषा का संस्कार, प्रवाह और तमीज देने वाला रचनाकार बताया। कार्यक्रम का संयोजन करते हुए साहित्यकार सत्यदीप ने कहा कि प्रेमचंद खेल प्रेमी रहे हैं और उनकी कहानियों में खेल के अनेक प्रसंग साक्षात उपस्थित होते हैं। इस दौरान बजरंग शर्मा, रामचंद्र राठी, तुलसीराम चौरड़िया, विजय महर्षि, महावीर सारस्वत सहित काफी संख्या में लोग मौजूद रहे।
कैप्शन: श्रीडूंगरगढ़ की राष्ट्र भाषा हिंदी प्रचार समिति में आयोजित संगोष्ठी में बोलते हुए अतिथि।

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