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श्रीडूंगरगढ़ बीकानेर,इस बार श्रावण मास में श्रेष्ठ वर्षा होगी जिससे अनाज की पैदावार भी बेहतर होगी और अन्न सस्ता होगा। ज्योतिषियों ने उत्तर की ओर चली हवाओं के वेग से भविष्यवाणी की। बुधवार को शास्त्री नगर स्थित साइंस पार्क में अखिल भारतीय प्राच्य ज्योतिष शोध संस्थान की ओर से हुए वायु परीक्षण में शहर के वरिष्ठ ज्योतिषियों और पंचागकर्ताओं ने ध्वजा परीक्षण द्वारा यह भविष्यवाणी की।

कार्यक्रम के संयोजक डॉ. रवि शर्मा ने बताया कि शाम 7.20 पर वायुवेग के आधार पर श्रावण से कार्तिक तक चातुर्मास में होने वाली वर्षा का ज्योतिषीय आंकलन किया गया। आषाढ़ी पूर्णिमा (वायुधारिणी पूर्णिमा) को श्रावणमास की वर्षा के पूवार्नुमान हेतु सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इसी समय सूर्य मिथुन राषि से कर्क राषि में प्रवेश करते है, जिससे ऋतु परिवर्तन होता है एवं गर्मी कम हो जाती है एवं वर्षा ऋतु का प्रारम्भ होता है। वायुपरीक्षण ज्योतिष सम्राट् व जय मार्तण्ड पंचांग के पं. चन्द्रषेखर शर्मा की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। वायुपरीक्षण में देशभर से 300 से अधिक ज्योतिष ऑनलाइन शामिल हुए। कार्यक्रम में डॉ. नरोत्तम पुजारी, ज्योति पुजारी,हर्ष पुजारी,प्रीतम पुजारी (छोटा गुरु), सौरभ-सीमा अग्रवाल, विनोद नाटाणी, सत्यनारायण शर्मा, सांवरमल दाधीच, मनोज श्रीमाल, धर्मेंद्र खंडेलवाल, मनोज शर्मा, अंजू शर्मा, सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

बुध के उदय से अगस्त मास में श्रेष्ठ वर्षा —
आयोजन सचिव डॉ. अनिल स्वामी के अनुसार इस वर्ष पूर्वी भाग में धान्य कमजोर तथा उत्तर-दक्षिण में वर्षा अधिक होगी। पश्चिम में वर्षा की न्यूनता व छत्रभंग से प्रजा को कष्ट होगा। इस वर्ष तापमान में वृद्धि होगी। बुध-शुक्र का जलाश्रय राशि में योग समयानुकूल वर्षा करवायेगा। राजस्थान, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, मध्यप्रदेश आदि में आंधी, तूफान के साथ श्रेष्ठ वर्षा होगी। बुध के उदय से अगस्त मास में राजस्थान सहित पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, गुजरात, हिमाचल प्रदेष, उत्तराखण्ड में श्रेष्ठ वर्षा होगी। पर्वतीय भागों सहित मैदानी इलाकों में बिजली गिरना, भूस्खलन या बादल फटने से हानि होगी। अगस्त के दिन शुक्र का सिंह में गोचर वर्षा में अस्थायी कमी करेगा। सितम्बर मध्य में बुध का अस्तोदय तथा अक्टूबर में शुक्र का अस्त होना सभी स्थानों पर वर्षा, तूफान या ओलावृष्टि करेगा।

इस तरह रहेंगे वृष्टि के विभिन्न योग :
चार स्तम्भ:- जल स्तम्भ:- 97.37 प्रतिशत, तृण स्तम्भ 79.32 प्रतिशत, वायु स्तम्भ 35.34 प्रतिशत, अन्न स्तम्भ 47.98 प्रतिशत होगा।
रोहिणी निवास:- रोहिणी का निवास समुद्र पर है, अत: वर्षा की श्रेष्ठता से धान्य का उत्पादन श्रेष्ठ होगा।
समय का वास:- समय का वास माली (मालाकार) के घर होने से श्रेष्ठ वर्षा से धान्यादि के भाव में स्थिरता एवं फल, सब्जी, धान्यादि के उत्पादन की वृद्धि होगी।
समय का वाहन:- समय का वाहन महिष अर्थात भैंसा होने से वर्षा समयानूकूल होगी।
तम नामक मेघ होने से धान्यादि में पोषक तत्वों की कमी करेगा।

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