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बीकानेर सरकार की ओर से जिला मुख्यालयों पर स्थित राजकीय महात्मा गांधी अंग्रेजी स्कूलों में प्री प्राइमरी कक्षाएं खोलने की घोषणा के बाद इन कक्षाओं में प्रवेश प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई है।

इन स्कूलों के संस्था प्रधानों को ये मालूम नहीं है कि उनकी स्कूलों में नर्सरी, एलकेजी और यूकेजी की कक्षाएं कब से शुरू होगी। बच्चों को लॉटरी से इन स्कूलों में प्रवेश हो जाने

की जानकारी तो है लेकिन, अभिभावकों को यह पता नहीं कि उन्हें नौनिहालों को स्कूल कब से भेजना है। विभाग ने प्रवेश प्रक्रिया के बाद कक्षाएं कब लगानी है, इसके निर्देश संस्था प्रधानों को नहीं दिए है।

प्ले सामग्री का इंतजार

कुछ स्कूलों में तो प्री प्राइमरी बच्चों को पढ़ाने की सामग्री तक नहीं पहुंची है। इन स्कूलों में मोंटेनसरी पद्धति से पढ़ाने वाले शिक्षक ही उपलब्ध नहीं है। सरकार ने इनको पढ़ाने के लिए
अध्यापक लेवल प्रथम के शिक्षकों को जिम्मेदारी दी है। जबकि मांटेसरी
पद्धति से शिक्षण खिलौनों तथा खेल में शिक्षण की व्यवस्था से होता है।
जो अभी तक इन स्कूलों में नहीं है। राज्य की कुछ स्कूलों में कक्षा कक्षों का भी अभाव है। जिन कक्षा कक्षों में मोंटेसरी कक्षाएं संचालित होगी, उनमें अन्य कक्षाओं का संचालन नहीं किया जा सकता। बच्चों की प्ले सामग्री उन कक्षों में रहेगी। ‘

आया’ भी नहीं

छोटे बच्चों की सार संभाल के लिए इन स्कूलों में ‘आया’ जैसी व्यवस्था भी होनी जरूरी होगी। छोटे बच्चों को संभालने के लिए ऐसी प्रशिक्षित

महिला का होना जरूरी है, जो बच्चों की मनोदशा को भाप सकें। नर्सरी के बच्चें कभी तो अपनी बात बता देते है और कभी कभी वे बता नहीं पाते। ऐसे में बच्चों के हाव भाव को पहचानने वाली आया या शिक्षिका का होना जरूरी होता है। बिना व्यवस्था के आनन फानन में शुरू की गई प्री प्राइमरी कक्षाएं इस सत्र में शुरू नहीं हो पाती है तो प्रवेशित बच्चों को दूसरी स्कूल से भी वंचित होना पड़ सकता है।

अभिभावक लगा रहे चक्कर

प्रवेश सुनिश्चित हो जाने के बाद अभिभावक अपने बच्चों को जल्दी से जल्दी अंग्रेजी माध्यम की स्कूलों में भेजने को लेकर उत्साहित है। अन्य निजी स्कूलों में तो नर्सरी एलकेजी तथा यूकेजी के बच्चें स्कूलों में जा रहे है। परन्तु सरकारी अंग्रेजी स्कूलों में कब से इनको बुलाना है, यह सरकार ने तय नहीं किया है। अंग्रेजी स्कूल के संस्था प्रधानों ने बताया कि अभिभावक लगातार प्री प्राइमरी के बच्चों को स्कूल भेजने के लिए संपर्क कर रहे है। उन्हें विभाग से निर्देश नहीं मिले तो कुछ जवाब नहीं दे पाते है।

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