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बीकानेर,श्री ब्राह्मण स्वर्णकार दादोजी धर्मार्थ संस्था द्वारा श्री दादोजी महाराज के शक्ति स्थल श्रीरामसर में पूर्ण मनोयोग से पूजा-अर्चना की गई । आस्था अध्यक्ष जयनारायण सोनी ने बताया कि किवदन्ती के अनुसार समाज में कट्टा गौत्र के लोग जात-झडूला हेतु दादोजी के धाम जैसलमेर जाया करते थे । उस समय आवागमन के इतने साधन नहीं होने के कारण व रास्ते में लूट-पाट की घटनाएं होने से समाज के लोगों को परेशानी होती थी, तब दादोजी ने स्वप्न में दर्शन देते हुए कहा कि मेरा निज धाम लुद्रवा जैसलमेर में ही रहेगा, मग़र कोई श्रद्धा से हमें सड़क मार्ग से बीकानेर लेकर जावें तो हम चलने को तैयार हैं । पीछे मुड़कर जहां भी देखोगे हम वहीं रुक जाएंगे और वहीं हमारा नया धाम बनेगा । उनकी इच्छानुसार ऐसा ही किया गया और करमीसर तक आते-आते दादीजी के घुंघरुओं की आवाज बन्द हो गई । तब पीछे मुड़कर देखा गया तो दादोजी ने कहा अब हम आगे नहीं चलेंगे । बस उसी दिन से यहां मंदिर की स्थापना हो गई । समाज बंधुओं ने मनोयोग से पूजा अर्चना शुरू कर दी । कमलनारायण आर्य ने बताया कि समाज के लोगों की मनोकामना पूर्ण होने पर आस्था बढ़ती रही । दादोजी का जन्मदिन ज्येष्ठ शुक्ल द्वितीया को हेने के कारण लोक देवता के रूप में विक्रमी सम्वत 1765 से पूजा अर्चना होने लगी ।

संस्था के शंकरलाल कट्टा ने बताया कि समस्त ब्राह्मण स्वर्णकार समाज के बन्धुओं ने दादोजी और दादीजी की पूजा अर्चना में भाग लिया और अपनी मनोकामना पूर्ति हेतु अरदास की। उपस्थित सभी भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया ।

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