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बीकानेर,केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने प्रदेश और बीकानेर क्षेत्र की जनता से राजस्थानी भाषा को संवैधानिक दर्जा दिलाने का वादा किया था। यहां तक बयान दिया कि राजस्थानी आठवीं अनुसूची में शामिल होने की प्रक्रिया में है। अब वे केंद्रीय विधि व कला संस्कृति मंत्री बनने के बाद से चुप है। राजस्थान सरकार के कला एवं संस्कृति मंत्री डाॅ. बी. डी. कल्ला ने राजस्थानी के प्रदेशभर से आए साहित्यकारों से कहा कि राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता शीघ्र मिले, इसके लिए सामूहिक प्रयास करने होंगे। केंद्र सरकार राजस्थानी के मान्यता की अनदेखी कर रही है। कल्ला ने राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के वार्षिक कार्यक्रम में प्रदेशभर से बीकानेर आए राजस्थानी के साहित्यकारों से आह्वान किया कि वे केंद्र सरकार की ओर से राजस्थानी को मान्यता की मांग पर आंदोलन करें। मैं तन, मन और धन से आपके साथ हूं। कल्ला ने संकेत किया कि चुनाव वर्ष है। आप अपना प्रभाव दिखाओगे तो केंद्र सरकार दवाब में आएगी। राजस्थान विधानसभा से राजस्थानी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने का सर्व सम्मति से प्रस्ताव भेज दिया था। केंद्रीय साहित्य अकादमी में राजस्थानी को शामिल किया गया है फिर आठवीं अनुसूची में क्यों शामिल नहीं किया जा रहा है? यह राजस्थान विधानसभा का अपमान है। राजस्थान के 25 भाजपा सांसद और मंत्री इस मुद्दे पर चुप क्यों हैं? मान्यता के मुद्दे पर केंद्र सरकार अनदेखी कर रही है सबको जागना पड़ेगा। ।

बीकानेर राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के पुरस्कार एवं सम्मान समारोह चर्चा में रहा। ऐसे लोगों को भी राजस्थानी के पुरस्कार दिए गए जिन्हें मंच से राजस्थानी बोलने में दिक्कत आई। और जिन्होंने राजस्थान में लिखने का काम नहीं किया है। पुरस्कार वितरण के दौरान ही अकादमी अध्यक्ष उपाध्यक्ष पर चहेतों को पुरस्कार देने के आरोप भी लगने लगे। सर्वाधिक पुरस्कार बीकानेर के एक ही जाति के साहित्यकारों को देने से बाहर से आए साहित्यकारों ने नाराजगी जताई। साहित्यकारों की टिप्पणी रही कि अपनों को रेवड़ियां बांटी गई। अकादमी राजनेताओं का अखाड़ा भर रह गई है। अकादमी की साख गिरी है। रामबख्स चौधरी के हिंदी में बोलने का राजस्थानी के विद्वानों ने आयोजन के दौरान ही विरोध किया। फिर भी उनको पुरस्कार दिया गया। राजस्थान सरकार के मंत्री बी डी कल्ला ने तो केंद्र सरकार के खिलाफ यहां तक कहा कि राजस्थानी विश्व की पुरातन और समृद्धतम भाषाओं में है। इसमें प्रचुर साहित्य सृजन हुआ है। इसका शब्दकोष समृद्ध है तथा दुनिया भर में दस करोड़ से अधिक लोग इस भाषा को बोलते और समझते हैं। इसके बावजूद केन्द्र सरकार द्वारा अब तक इसे आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं किया गया है। इसके लिए प्रत्येक राजस्थानी को आगे आना होगा और राजस्थानी भाषा के सम्मान के लिए पैरवी करनी होगी। अर्जुन राम मेघवाल राजस्थान में भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र बनाने वाली समिति के अध्यक्ष है। भाजपा की क्या पहली घोषणा राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता की रहेगी? क्या राजस्थान सरकार के कला संस्कृति मंत्री कल्ला इस मुद्दे पर फिर से राजनीति करेंगे? खैर भाषा को मान्यता का मुद्दा सरकारों की जिम्मेदारी है। झूठी राजनीति करने वाले जनता से कभी न कभी तो दंडित होंगे ही। वैसे अकादमी उपाध्यक्ष भरत ओला ने अकादमी की दुर्दशा पर भी खूब आसूं बहाए, परंतु मंत्री कल्ला आश्वासनों के अलावा कुछ भी राहत नहीं दे पाए।

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