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बीकानेर,राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता मिले और राजस्थानी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव राजस्थान विधानसभा में पारित कर अगस्त 2003 को भारत सरकार को भेज दिया गया था प्रस्ताव भेजे 19 वर्ष हो गए हैं। फिर भी प्रस्ताव पर विचार तक नहीं हुआ। केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के मुद्दे पर बहुत बड़ी बड़ी बातें बड़े मंचों से कही , परंतु उनकी सब बातें ढाक के तीन पात साबित हुई है। अभी मेघवाल केंद्रीय कला संस्कृति राज्य मंत्री बनने के बाद वे एक बार भी राजस्थानी भाषा के मान्यता के मुद्दे पर नहीं बोले हैं। वही राजस्थानी को प्रदेश की दूसरी भाषा के रूप में मान्यता देने की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे समेत 160 विधायकों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखें है। राजस्थान सरकार में कला संस्कृति मंत्री डा बी ड़ी कल्ला है। उनका रवैया भी वैसा ही है। दरअसल राजस्थानी भाषा मान्यता के सभी मानदंड भले ही पूरा करें। भाषा राजस्थान के 12 करोड़ लोगों की जीवन संस्कृति से जुड़ी हो राजनीतिक उदासीनता के चलते सभी प्रयास निरर्थक हैं। केंद्र और राज्य सरकार में इस महकमे के मंत्री बीकानेर के ही है। बीकानेर में राजस्थानी भाषा, कला साहित्य संस्कृति अकादमी है। इसके बावजूद इन मंत्रियों में राजनीतिक इच्छा शक्ति का अभाव है। केंद्रीय मंत्री मेघवाल व राजस्थान के मंत्री डा कल्ला को अपनी भाषा की मान्यता को लेकर कतई चिंता का इजहार नहीं है।
राजस्थानी भाषा समृद्ध भाषा है। इसका प्रमाण केंद्रीय अकादमी और राजस्थान में भाषा साहित्य संस्कृति अकादमी बनी है। भाषा का शब्दकोश, व्याकरण, समृद्ध साहित्य है। सरकार की फिर भी बेरुखी बनी हुई है। भाषा, साहित्य, कला, संस्कृति और राजस्थानी के इतिहास के गीत गाकर राजनीति करने वाले नेता मान्यता के मुद्दे पर खामोश हैं। राजस्थानी की मान्यता को लेकर साहित्यकारों, कलाकारों ने कितने आंदोलन किए हैं ? राजस्थानी के महान साहित्यकार कन्हैया लाल सेठिया ने राजस्थानी की मान्यता आंदोलनों का हवाला देकर तत्कालीन उप राष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत को कई बार पत्र लिखे थे उनकी इच्छा थी कि वे अपने जीवन काल में राजस्थानी भाषा की मान्यता देखना चाहते थे। आज भैरों सिंह शेखावत और कन्हैया लाल सेठिया दोनों ही संसार में नहीं है। राजस्थानी भाषा को मान्यता नहीं मिलने की पीड़ा कायम है। साथ ही केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और राजस्थान के मंत्री डा बी डी कल्ला से मान्यता का सवाल यथावत बना हुआ है। क्या ये राजस्थानी की मान्यता के मुद्दे पर अपना जन प्रतिनिधि का धर्म निभा पाएंगे ?

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