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जयपुर,प्रदेश में चुनाव भले ही अभी दूर हैं, लेकिन सियासी गतिविधियां गति पकड़ने लगी हैं। प्रदेश की दोनों प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के बड़े कार्यक्रम प्रदेश में प्रस्तावित हैं और प्रदेश के दक्षिणी हिस्से में मई में सियासी गर्मी परवान पर रहने की संभावना है।

उदयपुर में कांग्रेस 3 दिन का राष्ट्रीय चिंतन शिविर करने जा रही है, जिसमें पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव की रणनीति तह करेगी आखिरी सप्ताह में केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी डूंगरपुर-बांसवाड़ा में बड़ा आदिवासी सम्मेलन करने आ सकते हैं। ऐसे में प्रदेश का उदयपुर सम्भाग मई में राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र रहने वाला है।

कांग्रेस का चिंतन शिविर,कांग्रेस 13 से 15 मई के बीच कार्यक्रम होगा। उदयपुर में पार्टी का राष्ट्रीय चिंतन शिविर करने जा रही है। विभिन्न राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और आगामी लोकसभा चुनाव की दृष्टि से पार्टी का यह चिंतन शिविर बहुत अहम रहने वाला है। रणनीति पर चर्चा करेगी और इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी सहित पार्टी के सभी बड़े नेता इस चिंतन शिविर में आएंगे गौरतलब है कि इसी तरह का चिंतन शिविर 2013 में जयपुर में हुआ था और उसमें राहुल गांधी की उपाध्यक्ष पद पर ताजपोशी की गई थी। ऐसे में यह चिंतन शिविर आगामी चुनाव से पहले पार्टी का सबसे बड़ा कार्यक्रम होगा।

भाजपा का अदिवासी सम्मेलन कांग्रेस के चिंतन शिविर के तुरंत बाद मई के आखिरी सप्ताह में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी बांसवाड़ा या डूंगरपुर में बड़ा आदिवासी सम्मेलन कर सकते हैं। नहीं हुआ है, लेकिन बताया जा रहा है कि 5 मई के आसपास अमित शाह बेणेश्वर धाम या आसपास के किसी क्षेत्र में बड़ा आदिवासी सम्मेलन कर सकते हैं। इस सम्मेलन

में गुजरात के आदिवासी क्षेत्रों के आदिवासी भी शामिल हो सकते हैं। पार्टी के अनुसूचित जनजाति मोर्चे की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक 23 अप्रैल को बांसवाड़ा में होने जा रही है।

इस बैठक में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री विनोद तावडे मौजूद रहेंगे और बताया जा रहा है कि इस बैठक में आदिवासी सम्मेलन की रूपरेखा तय की जाएगी।

दोनों ही इस क्षेत्र में पैठ जमाने के लिए अभी से जोर लगाती दिख रही है। पिछले चुनाव में उदयपुर सम्भाग में भाजपा का दबदबा रहा था। हालांकि भारतीय ट्राइबल पार्टी ने भी इस इलाके में घुसपैठ कर ली थी। जबकि कुछ समय पहले हुए उपचुनाव में यहां भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा था।

राजनीतिक दृष्टि से अहम है दक्षिण राजस्थान प्रदेश की राजनीतिक में दक्षिण राजस्थान काफी अहम माना गया है क्योंकि यह आदिवासी बाहुल् इलाका है और यहां से आमतौर पर किसी भी पार्टी के लिए खंडित जनादेश नहीं आता है। यही कारण है कि कांग्रेस और भाजपा दोनों हैं क्षेत्र में पेठ जमाने के लिऐ अभी से  ही जोर लगाती दिख रही है। पिछले चुनाव में उदयपुर संभाग में भाजपा का दबदबा रहा था हालांकि भारतीय ट्राइबल पार्टी ने भी इस इलाके में घुसपैठ कर ली थी। जबकि कुछ समय पहले हुए उपचुनाव में यहां भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा था ।

गुजरात चुनाव भी है कारण इस समय कांग्रेस और भाजपा का दक्षिणी राजस्थान पर फोकस करने राजनीतिक दृष्टि से अहम है का एक बड़ा कारण गुजरात चुनाव भी है। इस वर्ष के अंत में गुजरात में उदयपुर सम्भाग का बड़ा हिस्सा गुजरात से लगता हुआ है। ऐसे में यहां पार्टी के कार्यक्रम करने से गुजरात की लगती हुई सीटें भी प्रभावित होती है

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