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बीकानेर,देशभर में तेजी से फैल रहे कोरोना के मामलों ने एक बार फिर राजस्थान में कांग्रेसी नेताओं को मायूस कर दिया है।पिछले 3 साल से राजनीतिक नियुक्तियों की आस देख रहे नेताओं को एक बार फिर अपनी नियुक्ति के लिए मार्च तक इंतजार करना पड़ सकता है। नवम्बर में उपचुनाव का परिणाम आने के बाद यह उम्मीद की जा रही थी कि दिसम्बर तक मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियां पूरी हो जाएंगी। मंत्रिमंडल विस्तार तो हुआ मगर राजनीतिक नियुक्तियों नाम पर सिर्फ लॉलीपॉप दिया गया। कुछ चुनिंदा जिलों को छोड़कर ना तो संगठन का विस्तार किया गया ना ही निगम और बोर्ड में नियुक्तियां हुई।

फरवरी में पीक,मार्च में बजट इसके बाद ही नियुक्ति राजस्थान में कोरोना तेजी से फैलने लगा है। देशभर में 1.80 लाख, वहीं राजस्थान में रोजाना 5.5 हजार से ज्यादा केस आ रहे हैं। ऐसे में सरकार का पूरा ध्यान

कोरोना संक्रमण के नियंत्रण पर है। एक्सपर्टस का कहना है कि फरवरी में देश में कोरोना का पीक आ सकता है। ऐसा होता है तो मार्च तक स्थितियां सामान्य होगी। इसके बाद मार्च में प्रदेश सरकार अपना बजट पेश कर सकती है। उसके बाद ही राजनीतिक नियुक्तियों पर सरकार का कोई एक्शन देखने को मिल सकता है।

मुख्यमंत्री खुद पॉजिटिव, कई पद खाली पड़े हैं तीसरी लहर में प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद कोरोना संक्रमित हो गए हैं। ऐसे में नियुक्तियों पर फिलहाल चर्चा होना मुश्किल लगता है।

राजस्थान में कई जिलों में संगठनात्मक नियुक्तियों सहित प्रदेशभर की यूआईटी, निगम, बोर्ड से जुड़े कई अहम पद खाली पड़े हैं।

ऐसे में प्रदेशभर से कांग्रेसी कार्यकर्ता और नेता इसकी आस लगाए बैठे हैं। मगर अब कांग्रेसी नेताओं में अंदरखाने यह बातचीत शुरू हो गई है कि मार्च तक नियुक्तियों पर विचार किया जाए।

पिछली सरकार में भी चौथे बजट के बाद हुई थी नियुक्तियां संगठनात्मक नियुक्तियों को हटा दिया जाए तो निगम बोर्ड में नियुक्तियों को लेकर सरकारें सुस्त रही हैं।

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