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बीकानेर, प्रदेश में अब इलाज के दौरान मरीज की मौत के मामलों में बिना जांच के पुलिस डॉक्टरों और चिकित्साकर्मियों पर मामला दर्ज नहीं कर सकेंगी। शिकायत मिलने के बाद पहले रोजनामचे में अंकित कर जांच करेगी। इसके बाद जांच में घोर लापरवाही सामने आने पर ही एफआईआर दर्ज की जाएगी। रविवार को इस संदर्भ में राज्य के गृह विभाग ने अब डॉक्टरों, चिकित्साकर्मियों से मारपीट एवं मामले दर्ज कराने को लेकर एसओपी जारी की है।

राजस्थान गृह (ग्रुप-5) विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अभय कुमार ने जारी कि एसओपी में बताया कि चिकित्सक या चिकित्सककर्मी के खिलाफ पुलिस जांच में आरोप प्रमाणित होने एवं चिकित्सक बोर्ड की राय मिलने पर ही मामला दर्ज करना होगा। मामला दर्ज होने के बाद पुलिस अधीक्षक की मंजूरी के बाद ही गिरफ्तारी की जा सकेगी। पुलिस लापरवाही से मौत मामले में पहले आईपीसी की धारा 174 के तहत कार्रवाई करेंगी। थानाधिकारी निष्पक्ष जांच में मेडिकल बोर्ड से राय लेकर आगामी कार्रवाई करेंगे। वहीं मेडिकल बोर्ड को 15 दिन के भीतर अपनी राय देनी होगी। सूत्रों के मुताबिक हाल ही में एक चिकित्सक के खिलाफ लापरवाही का मामला दर्ज होने पर उसने सुसाइड कर लिया था, जिससे चिकित्सा जगत में उपजे तनाव के बाद सरकार ने मशक्कत कर यह नई व्यवस्था लागू की है।
एसओपी के मुताबिक अस्पताल में किसी मरीज की मौत होती है और परिजन चिकित्सक पर लापरवाही का आरोप लगाते हैं तो पहले पुलिस किसी तरह की कार्रवाई नहीं करेगी। परिजनों को अस्पताल व चिकित्सा विभाग के अधिकारी को शिकायत करनी होीग। उस शिकायत के आधार पर मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाएगा। बोर्ड की राय पर ही सारा दारोमदार होगा।

किसी डॉक्टर के खिलाफ इलाज में कोताही की कोई शिकायत आती है तो उस मामले में मेडिकल बोर्ड एक खास पहलू पर जरूर जांच करेगी। इसमें उदाहरण के तौर पर अगर किसी अस्पताल में किसी गर्भवती महिला की डिलीवरी के दौरान मौत होती है और बोर्ड के पास इसकी शिकायत आती है तो उस अस्पताल में बोर्ड द्वारा यह चेक किया जाएगा कि उस अस्पताल में कोई प्रशिक्षित महिला डॉक्टर है या नहीं। इसके अलावा किसी महिला की डिलीवरी के समय वहां किसी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए क्या प्रबंध हैं। अस्पताल में सुविधा नहीं है और वास्तव में लापरवाही हुई तो मेडिकल बोर्ड उस अस्पताल के खिलाफ ही अपनी रिपोर्ट पेश करेगा।

सरकार के इस फैसले से लोगोंं और डॉक्टरों दोनों को फायदा होगा। आमजन को मामलों में कहीं धरने प्रदर्शन नहीं करने पड़ेंगे। अगर उन्हें किसी डॉक्टर की लापरवाही दिखती है तो वे सीधे चिकित्सा अधिकारी को इस बारे में शिकायत करेंगे। अगर उनकी शिकायत सही होगी तो विभागीय बोर्ड इस बारे में पुलिस को कार्रवाई करने बारे में लिख देगा। वहीं डॉक्टरों की बात की जाए तो कई बार लोग किसी डॉक्टर से पैसे ऐंठने के चक्कर में उस पर झूठे आरोप लगा उसके खिलाफ केस दर्ज करा देते हैं। इसके बाद डॉक्टर को कोर्ट कचहरी और पुलिस के सामने जाकर अपने आपको बेकसूर साबित करना पड़ता है। मगर सरकार की इस नई एसओपी से अगर किसी डॉक्टर ने अपने काम में कोताही बरती है तो वह बच नहीं पाएगा और अगर उसने अपना काम सही तरीके से किया है तो उसका कुछ नहीं बिगड़ पाएगा।

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