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बीकानेर,जिले में दो साल में चोरी और लूट के 349 मुकदमों में से 114 में ही आरोपी पकड़े गए 226 मामलों में पुलिस ने अदम पता में एफआर लगा दी। केवल 3.57% माल ही बरामद हो सका।चोरी, लूट और डकैती के मामलों में परिवादी को पुलिस की जान से मायूसी जी मिलती है। ज्यादातर कैसी में अपराधी तो पकड़े जाते हैं, लेकिन उनसे बरामदगी नहीं के बराबर ही हो पाती है। ऐसे में पुलिस अपराधी को पकड़कर अपनी परफॉमेंस तो दिखा देती है, लेकिन जिस व्यक्ति की जिंदगी भर की जमा पूंजी लुट जाती है उसे न्याय नहीं मिलता।  आरटीआई के तहत मिले जिले के 27 पुलिस थानों के वर्ष 2020 से 2022 तक दो साल में चोरी और लूट के मुकदमें और माल की पड़ताल की तो चौकाने वाले केस सामने आए।

जिले के 14 पुलिस थानों में दो साल में नारी और लूट के 349 मुकदमे दर्ज हुए थे, जिनमें से 226 में पुलिस ने आदम पता में एफआर ही लगा दी। ना मुल्जिम पकड़े और ना ही माल बरामद किया गया। कुछ केस पेंडिंग पड़े हैं। सबसे ज्यादा चोरी के 131 मुकदमें नोखा थाने लगा दी गई है। चोरी और लूट वज्रीकी रामदगी का बरा इससे भी खराब है। 17 पुलिस थानों में दर्ज मुकदमों में पीड़ितों के करोड़ 60 लाख 80 हजार 600 रुपए चोर-लुटेरे ले गए. लेकिन पुलिस 57 लाख 51 हजार 030 रुपए ही बरामद कर पाई। परिवादी आज भी अपनी स्कम के लिए पुलिस थानों के चक्कर लगा रहे हैं।

एक्सपर्ट बोले- 100% रिकवरी के लिए पुलिस को बदलनी होगी इन्वेस्टिगेशन की टेक्निक

आईपीसी की धारा 417 में भोरी का माल खरीदने या अपने पास रखने के आरोपी को भी 3 वर्ष तक की सजा या जुर्माना या दोनी से दौडत करने का प्रावधान है। लेकिन 411 में आरोपी तभी बन पाएगा जब चोरी का माल रखने वाले व्यक्ति के कब्जे से चोर की निशानदेही पर माल बरामद हो लेकिन ऐसे उदहरण बहुत ही कम है।

नया शहर थाने के एक मुकदमे में परिवादी की 1470 ग्राम गोल्ड ज्वैलरी खुर्दबुर्द हुई पुलिस ने मात्र 19.5 ग्राम सोना ही बरामद किया

अनुसंधान अधिकारी की 27 साय अधिनियम की इतला के अनुसार गंभोरता के साथ जीत कर अधिकतम बरामदगी करना • गवन, चोरी, लूट, डकैती के मामलों में राज्य की ओर से पैरवी लोक अभियोजक द्वारा की जाती है। कोर्ट में जब पीड़ित व्यक्ति पुलिस कार्यवाही को चैलेंज करता है तो लोक अभियोजक को पीड़ित पक्ष के खिलाफ पैरवी करनी पड़ती है। मजबूरी में पीड़ित को अलग से वकील करना पड़ता है।

कोर्ट में चालान पेश करने से पहले पत्रावली एपीपी के समक्ष पेश कि जाती है। यदि धारा 27 साक्ष्य अधिनियम की उपलब्ध हो या अन्य कोई कमी हो तो एपीपी को अधिकार है कि यह कमी पूर्ती कराए चोरी लूट डकैती जैसे मामला में पीड़ित को प्रथम स्तर का न्याय सभी मिलता है जब उसका माल बरामद हो जाए।

प्रदेश में तस्करी के मामले में आरोपी को छोड़ने पर एक महिला एसआई को निलंबित कर दिया गया। ऐसे हालात में पुलिस का इकबाल कैसे बुलंद रह सकता है।

कोर्ट के पास ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि वह माल बरामदगी के लिए आईओ को निर्देश दे इसी प्रक्रियात्मक कमी के कारण चौरी, लूट, डकैती, गबन के मामलों में 100% रिकवरी नहीं हो पाती। रिकवरी के लिए टॉर्नर करने पर मानवाधिकार एवं अन्य कानून आड़े आ जाते है। इसलिए माइकोलॉजी व अन्य अनुसंधान के आधारों का हन प्रशिक्षण करने की आवश्यकता है।एक्सपर्ट,मुमताज अली भाटी,अनित सोनी,

आरटीआई में मांगी थी जानकारी, 6 थानों ने नहीं दी

सूचना के अधिकार के तहत पुलिस से चोरी, लूट और डकैती के मामलों की जानकारी मांगी थी। सदर उपनारायण व्यास कॉलोनी, बीछवाल गंगाशहर और नापासर पाने की जानकारी पुलिस छिपा गई। जबकि इन पानी में काफी केस दर्ज है। इसी प्रकार नया शहर थाने में दो साल में 50 मुकदमे दर्ज हुए थे। 22 मामलों में करोड़ों रुपए की बारी हुई थी लेकिन बरामद कुछ नहीं बताया। तीन मामलो में बरामदगी मात्र तीन फीसदी रही। सबसे बड़ी एक करोड़ की चोरी को ही पुलिस भुला बैठी, जिसमें ना तो सभी चोर पकड़े गए ना ही एक पैसे की बरामगी हो पाई है।

केस डायरी

साधारसर निवासी राजा राम सोनी के साथ 10 जून 2020 को लूट हुई थी लुटेरे 36 ग्राम सीना, एक जोड़ी सोने की शुमकी और एक लाख रुपए लूट ले गए। पुलिस आज तक लुटेरों का पता नहीं लगा सकी। मुकदमे में अदम पता एफआर लगा दी गई।

नोखा के भट्टड़ों 2. के चौक में रहने तुलाराम के यहाँ चार जनवरी 2021 को चोरी हुई थी और 3 लाख 81 हजार रुपए व सोने, चांदी के जेवरात चुरा ले गए चोरों का आज तक पता नहीं चला और पुलिस ने अदम पता में एफआर वाले लगा दी।

सर्वोदय बस्ती में 3. भंवरलाल ओझा के पर दो अक्टूबर की रात चोरी हुई थी। पारगी गैंग ने उनके घर से करीब एक करोड़ रुपए की ज्वैलरी और नगदी पर हाथ साफ किया। पुलिस अब तक चार आरोपी ही पकड़ सकी बरामद नहीं हुआ।

4 थानों में चोरी का माल ही बरामद नहीं हुआ नौखा में 70 लाख, जामसर में 4 लाख 58 हजार, कोतवाली में 3 लाख 71 हजार 150 और कोलायत में सात लाख 45 हजार की नगदी और कैश चोरी के मामले दो साल में हुए लेकिन पुलिस ने एक पैसा बरामद नहीं किया। ज्यादातर मुकदमों में एफआर लग चुकी है।

 

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