सीकर. कोरोनाकाल में ऑनलाइन लेनदेन बढऩे के साथ ही साइबर ठग भी ज्यादा सक्रिय हो गए हैं। इतने सक्रिय कि पुलिस को ‘तू डाल-डाल, मैं पात-पात’ की तर्ज पर चुनौती दे रहे हैं। इधर, पुलिस की स्थिति यह है कि पिछले दो साल (2019 व 2020) में दर्ज मामलों में से 10 फीसदी केस का भी खुलासा नहीं कर सकी है। प्रदेश में पिछले दो वर्ष में साइबर ठगी के 2387 मामले दर्ज हुए। जबकि पुलिस महज 235 मामलों का ही खुलासा कर पाई। दरअसल, प्रदेश में साइबर क्राइम तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन उस अनुरूप राजस्थान की पुलिस प्रशिक्षित नहीं हो पाई है। जिला स्तर पर संसाधनों और साइबर एक्सपर्ट की कमी का दंश जनता झेल रही है। ठगी गई रकम की बरामदगी करने में पुलिस फिसड्डी साबित हुई है।
सरहदी जिलों की पुलिस भी नहीं साइबर एक्सपर्ट
सबसे चिंताजनक बात यह है कि पाकिस्तान सीमा से सटे बाड़मेर, जैसलमेर जिलों की पुलिस पिछले दो साल में साइबर अपराध के एक भी मामले का खुलासा नहीं कर पाई। जबकि पिछले दो वर्ष में जैसलमेर में 18 और बाड़मेर में 12 साइबर अपराध (ऑनलाइन ठगी) के मामले दर्ज हुए थे।
सीकर समेत कई जिलों में एक भी मामले का खुलासा नहीं
सीकर, टोंक, धौलपुर, जोधपुर ग्रामीण, बूंदी, डूंगरपुर व बारां जिलों की पुलिस भी वर्ष 2019 और 2020 में दर्ज साइबर ठगी के एक भी मामले का खुलासा नहीं कर पाई। पीडि़तों के करोड़ों रुपए पार हो गए, लेकिन पुलिस कुछ नहीं कर सकी।
इस नम्बर पर करें शिकायत
अगर आप किसी साइबर ठगी का शिकार हो जाए तो तुरंत 155260 टोल फ्री नंबर पर कॉल करें और पुलिस को तुरंत इसकी सूचना दें। इस नम्बर से जुड़ी विशेष टीम जयपुर से संचालित हो रही है।
ऐसे बच सकते हैं ऑनलाइन ठगी से
– अपनी बैंक डिटेल, क्रेडिट/डेबिट कार्ड, ओटीपी की जानकारी किसी को ना दें।
– फेसबुक, ई-मेल, मोबाइल पर आए अनजान लिंक को क्लिक ना करें।
– गूगल पर सर्च कर हासिल किए गए कस्टमर केयर नंबर की पड़ताल करने के बाद ही कॉल करें।
– मोबाइल पर किसी अनजान शख्स के बताने से कोई भी एप्लीकेशन या एप डाउनलोड ना करें।
– किसी भी व्यक्ति को एटीएम के पिन ना बताएं। समय-समय पर पिन बदलते रहे।
– अपने अकाउंट, फेसबुक अकाउंट का पासवर्ड अपना नाम या मोबाइल नंबर ना रखें। इसे समय-समय पर बदलना चाहिए।
व्यवस्था सब, लेकिन एक्सपर्ट की कमी
– साइबर अपराध की रोकथाम के लिए 30 जुलाई 2012 को राज्य स्तर पर साइबर क्राइम पुलिस थाने का गठन किया गया था। जिसे अधिक प्रभावी बनाने के उद्देश्य से एक जनवरी 2019 को साइबर क्राइम इन्वेस्टिगेशन यूनिट का गठन कर साइबर क्राइम पुलिस थाना एसओजी जयपुर के अधीन किया गया।
– स्टेट साइबर क्राइम कॉर्डिनेशन सेल का गठन किया हुआ है।
– प्रत्येक जिला स्तर पर एक थाने को नोडल थाना नियुक्त किया हुआ है। प्रत्येक रेंज एवं जिला स्तर पर साइबर क्राइम प्रकोष्ठ भी है।
– नेशनल साइबर क्राइम पोर्टल संचालित हो रहा है। प्रत्येक जिला यूनिट पर इसकी मोनिटरिंग होती है।
अब बढ़ रही रिकवरी रेट : डीजीपी
इसी साल शुरू हुए टोल फ्री नम्बर के बाद साइबर ठगी के मामलों में रिकवरी रेट भी बढ़ी है। ऑनलाइन ठगी होने के कुछ घंटों में इस नम्बर पर फोन करने पर हमारी टीम खाते से ट्रांजेक्शन रुकवा लेती है। जरूरत के अनुसार पुलिस साइबर एक्सपर्ट की आउट सॉर्सिंग के जरिए सेवाएं लेती हैं।
एमएल लाठर, पुलिस महानिदेशक