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बीकानेर,सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार की रोकथाम और आमजन के कामों में तेजी लाने के लिये राज्य सरकार के निर्देश पर प्रशासनिक सुधार विभाग हाल ही नया आदेश जारी किया है। आदेश के तहत तीन साल से एक ही सीट पर जमे अधिकारी कर्मचारियों को हटाने के निर्णय से बीकानेर शहर व जिले के विभागों में दो हजार से ज्यादा कर्मचारियों की जगह बदल सकती है। ये वो कर्मचारी हैं, जो अपने सियासी रसूखात और अफसरों की मेहरबानी से एक ही सीट पर तीन साल पांच साल से अधिक समय जमें है। इनमें नगर निगम, नगर विकास न्यास, कलक्ट्रेट, शिक्षा विभाग, जलदाय, पुलिस, चिकित्सा विभाग, सब रजिस्ट्रार ऑफिस, खनिज विभाग जिला परिषद, पंचायत समिति कार्यालय, उपखंड व तहसील कार्यालय के बाबूओं पर गाज गिर सकती है। शहर में सर्वाधिक लोगों के काम नगर निगम और यूआईटी में अटकते हैं। यहां बरसों से एक ही सीट पर बाबू जमे हुए हैं। इसके अलावा पीबीएम होस्पीटल, एसपी मेडिकल कॉलेज, सब रजिस्ट्रार ऑफिस और राजस्व विभाग के ऑफिसों में ऐसे कई अधिकारी और कर्मचारी है जो अपने राजकीय सेवाकाल का आधे से ज्यादा साल एक ही सीट पर निकाल चुके है। हैरानी की बात तो यह है कि इनके कामकाज और भ्रष्टता को लेकर शिकायतों का अंबार होने के बावजूद विभाग की ओर से नहीं हटाया गया।

सरकारी दफ्तरों के दिखने लगी हलचल
कार्मिक विभाग की ओर से आदेश जारी होने के साथ ही बीकानेर में सरकार ऑफिसों में हलचल दिखनी शुरू हो गई है। इस मामले को लेकर की गई पड़ताल में सामने आया है कि ज्यादात्तर अफसर और कार्मिक अपने रसूखात और बड़े अफसरों की मेहरबानी से एक ही सीट पर अपनी सेवाएं दे रहे है। इनमें कईयों को विभागीय स्तर पर पदौन्नति तक मिल चुकी है,इसके बावजूद वह सीट नहीं छोड़ रहे है।

-पॉलिसी के बिना लागू होना मुश्किल
सरकार ने सर्कुलर तो जारी कर दिया। लेकिन लागू करने को लेकर कोई नीति तय नहीं की गई है। ऐसे में किसी विभागाध्यक्ष के लिए अपने अधीनस्थ की जगह बदलना या विभाग बदलना आसान नहीं होगा।

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