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बीकानेर,जिले में गुनाहगार चेहरे काले शीशें की गाडिय़ों में घुम रहे है,जिन्हे देख पाना आमजन के लिये ही पुलिस के लिये मुश्किल है । पता चला है कि अपराध जगत के ज्यादात्तर गुनाहगार यहां वारदातों को अंजाम देने में काले शीशों की गाडिय़ों का इस्तेमाल करते है। इसकी रोकथाम के लिये रैंज पुलिस महानिरीक्षक ओमप्रकाश ने ऑपेरशन ब्लैक आउट के तहत काले शीशे लगे वाहनों को सीज करने के निर्देश दिये थे मगर पुलिस की नाकामी से बीकानेर में ऑपरेशन ब्लैक आउट बेअसर साबित हो रहा है। इसके चलते बीकानेर में काले शीशों वाली सैंकड़ो लक्जरी गाडिय़ा घूम रही है,सीज करना तो दूर पुलिस इन गाडिय़ों की तरफ झांककर भी नहीं देखती। ऐसे कौन सा अपराधी काले शीशों के पीछे पुलिस की आंखों के सामने से निकल जाता है पता भी नहीं चलता। जानकारी में रहे कि आईजी ओमप्रकाश ने आपराधिक गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए बीकानेर रेंज में सात दिवसीय ऑपरेशन ब्लैक आउट चलाने का आव्हान किया था। अभियान के दौरान काले शीशे वाली कारो और लक्जरी गाडिय़ों को सीज करने के निर्देश दिये गये थे। इसके बावजूद बीकानेर की सडक़ों पर काले शीशे लगे वाहन धड़ल्ले से घूम रहे है । इस मामले में जब न्यूज रिपोर्टर ने शहर में अपने कैमरे की नजर दौड़ाई तो एक-दो नहीं बल्कि दर्जनों की तादाद में काले शीशों की गाडिय़ा नजर आई।
-बड़ा सवाल: आखिर क्यों बंधे हुए है पुलिस के हाथ
जानकारी में रहे अपराधों की रोकथाम के लिये सुप्रीम कोर्ट ने काले शीशों वाले वाहनों पर पांबदी लगा रखी है,इसके अलावा राज्य सरकार ने अपराधों पर नियंत्रण कर के लिये काले शीशे वाले वाहनों पर रोक लगाने के निर्देश दे रखे है। अभी हाल ही सीकर में हुए राजू ठेहट हत्याकांड के बाद राजस्थान पुलिस महानिदेशक ने अलर्ट जारी कर निर्देश दिये थे कि काले शीशे वाले वाहनों के खिलाफ कार्यवाही की जाये। इसके बावजूद काले शीशे वाले वाहनों पर कार्यवाही करने में पुलिस के हाथ क्यों बंधे हुए है। यह बड़ा सवाल बन गया है।

रसूखदारों में काले का शगल….
काला शीशा लगे वाहन के अंदर कौन है, अपराधी हैं या वीआईपी, इसका पता न तो पुलिस को चल पाता है न जनता को। काला शीशा लगे वाहनों का उपयोग अक्सर आपराधिक गतिविधियों के लिए होता आया है। आपराधिक चरित्र वाले लोग अपनी पहचान छिपाने के लिए ऐसे वाहनों का उपयोग करते हैं। वहीं रसूखदारों लोगों ने भी काले शीशे वाली गाडिय़ों को अपना शगल बना रखा है। शहर के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में वाहन स्वामियों ने गाडिय़ों के शीशे पर काली फिल्म लगाकर चलने का शौक सा बना लिया है। पुलिस महकमा भी इसे लेकर मौन साधे हुए हैं। यदि पुलिस ठीक से कार्रवाई करे तो सफेद पोश से लेकर अधिकारी भी कार्रवाई के दायरे में आ सकते है।

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