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बीकानेर,जिलेभर में काले शीशे लगी गाडि़यां सरपट दौड़ रही है, जिन्हें रोकने-टोकने वाला कोई नहीं है। यातायात नियमों की खुलकर धज्जियां उड़ाई जा रही है। कोई क्षमता से ज्यादा सवारी बैठाता है। कोई प्राइवेट नंबर का व्यवसायिक उपयोग कर रहा है । लोग खुलेआम अपनी गाडि़यों में काला शीशा लगा कर बेखौफ घूम रहे हैं। ऐसी गाडि़यां जिनमें काले शीशी लगे हैं वे आपराधिक घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। लेकिन इस मामले में पुलिस प्रशासन गंभीर नहीं है। सरकार की ओर से कारों व बसों में काले शीशे लगाने पर प्रतिबंध लगा रखा है। बावजूद लोग अपने वाहन पर काले शीशे लगाकर सड़कों पर सरपट दौड़ रहे हैं। शहर में काले शीशे लगे वाहन आसानी से देखे जा सकते हैं। इन गाडि़यों पर यातायात पुलिस की सख्ती नहीं करने के कारण इनके हौसलें बुलंद है।

यह है नियम
जिन वाहनों पर संबंधित निर्माता कंपनी ने तय मानक के अनुसार काले शीशे लगे है वही वैध है। अगर कोई गाड़ी के शीशे पर अलग से काली फिल्म चढ़ाता है तो उसे किसी तरह की रियारत न देकर कार्रवाई करना होता है। भले ही उसने तय लिमिट के अनुसार ही काली फिल्म लगा रखी हो।

यह है जुर्माना
वाहनों के शीशे पर अवैध काली फिल्म पकड़े जाने पर पहले एक हजार और अब दो सौ रुपए के जुर्माने के साथ वाहन जब्त कर कर फिल्म उतारने का प्रावधान है। दूसरी बार दो जुर्माना और जेल भी हो सकती है।

काले शीशे वाले करते है अपराध
काले शीशे लगी गाडि़यों में कई तरह के खेल होते हैं। अवैध रूप से शराब, गांजा, अफीम व जिस्मफरोशी का धंधा करने वाले गाडि़यों के शीशे पर काली फिल्म रखते हैं। अपराधी व तस्कर पुलिस व खुफिया तंत्र को चकमा देने के लिए काले शीशे लगे वाहनों का उपयोग करते हैं।

यह है आदेश
वाहनों के शीशों पर काली फिल्म लगाए रखने का प्रचलन उच्चतम न्यायालय के सख्त आदेशों के बावजूद जारी है। न्यायालय ने सख्त आदेश जारी कर रखा है कि वाहनों के शीशों पर काली फिल्में न लगाई जाए। इसके लिए पुलिस प्रशासन को गाड़ियों के न केवल चालान काटने, बल्कि मौके पर ही गाड़ी के शीशों पर लगी काली फिल्म को उतारने के आदेश दिए थे। कुछ समय तक इन आदेशों का पालन भी हुआ, लेकिन कुछ ही दिनों में मुहिम ठंडी पड़ गई। यह हम नहीं बल्कि शहर में बेखौफ दौड़ रहीं काली फिल्म लगी गाड़ियां बता रही है।

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