बीकानेर,रामपुरा बस्ती में जिस दीपक अरोड़ा का मकान तोड़ने के लिए पुलिस और प्रशासन का अमला पहुंचा था, वो महज छपरा तोड़कर वापस लौट गए। बताया जा रहा है कि नगर विकास न्यास से पट्टा जारी होने के कारण अरोड़ा के मकान को तोड़ा नहीं गया। उधर, खुद अरोड़ा का कहना है कि उनके पास किसी तरह का नोटिस ही नहीं आया।
नयाशहर पुलिस के साथ प्रशासनिक अमला शनिवार को रामपुरा बस्ती पहुंचा था। यहां हिस्ट्रीशीटर दीपक अरोड़ा के घर के आगे जेसीबी मशीन भी लगा दी गई। माना जा रहा था कि कुछ ही देर में अरोड़ा का दो मंजिला मकान तोड़ दिया जाएगा। काफी देर वहां खड़े रहने के बाद जेसीबी चली। मकान के आगे बने दो छपरे तोड़ दिए गए। लेकिन मकान की दीवार को जेसीबी मशीन ने टच तक नहीं किया।
नयाशहर थानाधिकारी वेदपाल ने बताया कि हिस्ट्रीशीटर ने जो भी अवैध बनाया हुआ है, उसे तोड़ने के आदेश थे। घर के आगे बने छपरे अवैध रूप से बने हुए थे और सड़क मार्ग में बाधित हो रहे थे, इसलिए तोड़ दिए गए। मकान का उनके पास यूआईटी का पट्टा है, इसलिए नहीं तोड़ा गया।
उधर, दीपक अरोड़ा का कहना है कि उनके पास किसी तरह का नोटिस नहीं आया। एक ही लाइन में तीन भाईयों के मकान है। एक भाई के पास नोटिस आया था, जिसका जवाब दिया गया कि यूआईटी से पट्टा लिया हुआ है। अगर तोड़ा गया तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी। दीपक के पास इस तरह का कोई नोटिस नहीं आया। स्वयं दीपक इन दिनों बीकानेर से बाहर है।
दीपक अरोड़ा के खिलाफ बीस साल पुरानी हिस्ट्रीशीट है। जिसमें अधिकांश मामलों का निपटारा हो चुका है और हिस्ट्रीशीट बंद करने के लिए भी न्यायालय में मामला चल रहा है।