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बीकानेर,श्रीडूंगरगढ़. यहां राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति के तत्वावधान में रविवार को राष्ट्रीय राज मार्ग पर स्थित संस्कृति भवन में काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि शिक्षाविद व पर्यावरणविद ताराचन्द इन्दौरिया ने अपने उद्बोधन में कहा कि इस संस्था ने अपना नाम व मुकाम हासिल करने में कड़ी मेहनत की है। आज साहित्यिक जगत में इस संस्था ने अपनी अमिट छाप छोड़ी है और कस्बे को गोरविंनित किया है। अध्यक्षता करते हुए साहित्यकार डॉ. मदन सैनी ने कहा कि कविता मन का आंतरिक भाव है और अलंकार उसका सौन्दर्यकरण व रूप है। विशिष्ट अतिथि लॉयन महावीर माली ने कहा कि इस संस्था एवं यहां होने वाले कार्यक्रमों के प्रति कस्बे के लोगों में चाव बना रहता है।
इससे पूर्व सरस्वती वंदना के साथ शुरू हुई काव्य गोष्ठी में लूणकरणसर के राज बिजारणियां ने अपनी कविता में वर्तमान समय को रेखांकित करते हुए” भाईड़ा धत तेरे की” सहित बेटियों की अहमियत को उजागर किया। बीकानेर के वली मोहम्मद गौरी ने अपने गजलों के माध्यम से “कोख में ही दफन हो जाती है बेटियां” सहित “उर्दू है मेरी माँ तो हिंदी है खाला” सहित गजलों से समा बांधी।
बीकानेर की डॉ. कृष्णा आचार्य ने सकारात्मक सोच पर” जिसके ह्दय रस भाव, उसके अधर नव गान है” अपनी कविता से भाव व्यक्त किए। वहीं “धरा का बीज है बेटी, गगन का चांद है बेटी” कविता पाठ किया। रतनगढ़ के मनोज चारण कुमार ने कविता की व्याख्या करते हुए “सावंळी सी नार बा गजब कर गी” कविता सुना कर चित्रण किया। स्थानीय कवयित्री सीतादेवी राठी ने बालिका शिक्षा व नवभारत की सोच पर अपने भाव व्यक्त करते हुए “बापू मुझे पढ़ने दो, जीवन में कुछ बनने दो” व “मेरा भारत ऐसा हो जाए आने वाले सालों में” कविता पाठ किया।
मंत्री साहित्यकार रवि पुरोहित ने संस्था की गतिविधियों से अवगत करवाते हुए इस वर्ष चल रहे हीरक जयंती अवसर पर होने वाले आयोजनों की जानकारी दी। इस दौरान संस्था अध्यक्ष श्याम महर्षि, साहित्यकार चेतन स्वामी, श्रीभगवान सैनी, रामचन्द्र राठी, पार्षद सोहनलाल ओझा, पत्रकार कपिला स्वामी, ओमप्रकाश गुरावा, सोहन पुरी ठेकेदार, करणीसिंह बाना, गोपीराम नाई, विमल भाटी, दयाशंकर शर्मा, थानमल भाटी सहित श्रोतागण मौजूद रहे।

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