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बीकानेर,खेजड़ी को अमृत वृक्ष की उपमा दी गई है। कोई वृक्ष जो पृथ्वी पर पांच तरह से उपयोगी हो वो अमृत वृक्ष कहा जाता है। खेजड़ी मरुस्थलीय पेड़ है। कम पानी में उगने, तेज गर्मी और हवाओं में भी जिंदा रहने वाला मरूदभिद प्रकृति का वृक्ष है। इसके पत्ते छोटे और जड़े गहरी होती है। यह सांगरी जैसा बेस कीमती आयुर्वेदिक औषधि के रूप में फल देती है। पथिक को छाया, पक्षियों को बसेरा ,पशुओं को चारा और पर्यावरण चक्र को स्वच्छ रखने में ऑक्सीजन और बारिश को बुलाने के लिए वातावरण में नमी छोड़ता है। वर्षा जल संरक्षण में खेजड़ी की जड़े भूमिगत जल पुनर्भरण में सहयोग रहती है। इन्हीं गुणों के कारण खजेड़ी को राज्य वृक्ष का सम्मान दिया गया है। संभागीय आयुक्त डॉ. नीरज के. पवन का विजन है कि खेजड़ी की इस महत्ता को उन्होंने समाज और व्यवस्था के समक्ष पुनर्स्थापित करने की कोशिश की है। दशहरा पर खेजड़ी लगाने का यह आयोजन इस तरफ सबका ध्यान आकर्षित करना है। वन विभाग, खुद वन और पर्यावरण मंत्रालय, मंत्री और इस विभाग के जिम्मेदार अफसरों को खजेडी संवर्धन की नीति बनाने की तरफ कभी ध्यान ही नहीं गया। यह कोई आलोचना और प्रशंसा की बात नहीं है, बल्कि विजन और कुछ हटकर करते रहने का जज्बा है। बीकानेर ठेठ पश्चिमी राजस्थान और मरुस्थलीय इलाका है। खेजड़ी ही यहां प्राकृतिक रूप से प्रमुख वनस्पति है। नीरज के. पवन खेजड़ी के लिए जो कुछ कर रहे हैं वो समाज, सरकार , पर्यावरण और प्रकृति के प्रति संदेश है। संभाग के चारों जिलों के सरकारी कार्यालय परिसर में एक साथ राज्य वृक्ष खेजड़ी के पौधे लगाए जाना समाज को खेजड़ी के प्रति जागरूक करना है।
पवन ने राजस्थान के राज्य वृक्ष खेजड़ी को समझा है। खेजड़ली दिवस के महत्व को इंगित करने की जरूरत नहीं है। सभी जानते हैं। खेजड़ी जिसकी रक्षा के लिए विश्नोई समाज का बलिदान इतिहास की नजीर बनी हुई है। इसका अपना ऐतिहासिक महत्व है। पेड़ की पूजा हमारी संस्कृति का हिस्सा है। दशहरे के दिन राजस्थान में राज्य वृक्ष की पूजा की जाती है। खेजड़ी के प्रति आमजन में सम्मान हो तथा अधिक से अधिक संख्या में इसका पौधा लगाया जा सके, इसके मद्देनजर यह पहल की गई है। डा. पवन ने संभाग के जिला कलक्टरों को निर्देशित किया गया कि प्रत्येक जिले में अधिक से अधिक संख्या में खेजड़ी के पौधे लगाए।
बीकानेर संभाग मुख्यालय में जिला स्तरीय कार्यक्रम हरिश्चंद्र माथुर राजस्थान लोक प्रशासन संस्थान में रखा गया। संस्थान के अतिरिक्त निदेशक अरुण प्रकाश शर्मा के सान्निध्य आयोजित इस कार्यक्रम का व्यापक स्तर पर संदेश जनता में अवश्य ही जाना चाहिए।

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