बीकानेर,यूपी चुनाव के सातवें चरण की वोटिंग में 2 दिन बचे थे, तभी कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पेट्रोल पर एक ट्वीट किया। लिखा, “फटाफट पेट्रोल टैंक फुल करवा लीजिए, मोदी सरकार का चुनावी ऑफर खत्म होने जा रहा है।” उसके पहले भी सोशल मीडिया पर आम लोग चुनाव के बाद पेट्रोल के भाव बढ़ने की आशंका जता रहे थे। चुनाव नतीजों के बाद ये बहस और तेज हुई। हमने इस पूरे मामले की पड़ताल की है। आइए पूरी कहानी में उतरते हैं…पेट्रोल के दामों की कहानी 4 नवंबर 2021 से शुरू होती है…
अगले दिन दिवाली थी। 3 नवंबर को केंद्र की बीजेपी सरकार की तरफ से एक आदेश आया। उसमें कहा गया, “आज से पेट्रोल पर लगे एक्साइज ड्यूटी में 5 रुपए और डीजल में एक्साइज ड्यूटी 10 रुपए प्रति लीटर कम किया जाता है।” इसके अगले दिन दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 110.04 रुपए से घटकर 103.97 रुपए हो गई। डीजल 98.42 रुपए से घटकर 86.67 रुपए लीटर हो गया।
बीजेपी सरकार के इस ऐलान को लोगों ने यूपी समेत पांच राज्यों के चुनाव से जोड़ा गया। कहा गया कि ये छूट चुनावी है। लेकिन, अब चुनाव खत्म हो गए हैं। कच्चे तेल के भाव भी दोगुना रेट की ऊंचाई को छू गया। यानी अब तेज के दाम बेतहाशा बढ़ेंगे। लेकिन, ये पूरा सच नहीं है। आइए इसकी पूरी गणित समझते हैं…
रूस-उक्रेन लड़ाई के चलते जो दाम बढ़े थे, वो अब गिर रहे हैं
रूस और उक्रेन के बीच जारी युद्ध के कारण अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल का दाम तेजी से बढ़ते हुए 7 मार्च को 139.13 डॉलर पर पहुंच गया। इससे पहले 2008 में कच्चे तेल का दाम 140 डॉलर प्रति बैरल पहुंचा था। लेकिन, अब कीमत तेजी से गिर रही है। 10 मार्च को रेट 108.7 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। जानकार बताते हैं कि रेट में गिरावट का क्रम अभी चलता रहेगा।
महंगा नहीं, 2-3 रुपए सस्ता हो सकता है डीजल-पेट्रोल
बीपीसीएल के चेयरमैन अरुण कुमार सिंह कहते हैं, “कच्चे तेल का अभी जो दाम है वह तमाम देश बहुत दिनों तक बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे। अगले दो हफ्ते में रेट 90 डॉलर तक आने की पूरी उम्मीद है। अगर रूस और यूक्रेन की लड़ाई का मसला हल हो जाए तो भाव पहले के जैसे और नीचे आ सकते हैं। पेट्रोल के दाम 2 से 3 रुपए सस्ता हो सकता है।”
3 ठोस वजहें हैं, सरकार फिलहाल नहीं बढ़ाएगी पेट्रोल पर टैक्स
केंद्र सरकार पेट्रोल-डीजल फिलहाल पेट्रोल-डीजल के भाव बढ़ाने से बचेगी। इसे तीन पॉइंट में समझा जा सकता है।
6 मई 2020 को कोरोना की पहली लहर के दौरान मोदी सरकार ने पेट्रोल पर 10 रुपए और डीजल पर 13 रुपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी बढ़ा दी। इसके बाद पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 32.98 रुपए और डीजल पर 31.80 रुपए प्रति लीटर हो गया। 2019-20 में जो कमाई 1.78 लाख करोड़ थी, वह 2020-21 में बढ़कर 3.72 लाख करोड़ हो गई।
केंद्र सरकार ने 3 नवंबर 2021 को पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 5 रुपए और डीजल पर 10 रुपए प्रति लीटर की कटौती कर दी। इस वक्त पेट्रोल पर 27.98 रुपए और डीजल पर 21.80 रुपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी लगी हुई है।
कच्चे तेल का दाम सिर्फ 7 मार्च को ही 139 डॉलर प्रति बैरल रहा। तीन दिन बाद ही रेट 108 आ गया। अगर भाव स्थिर रहता तब टैक्स बढ़ाया जा सकता था, लेकिन अब स्थिति इसके उल्टी है।
पेट्रोलियम मंत्री ने 5 दिन पहले कहा- जनता के हित में फैसला होगा
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी 8 मार्च को कहा, “यह कहना कि चुनाव के कारण हमने पेट्रोल की कीमत नहीं बढ़ाई गलत होगा। तेल की कीमत कंपनियां तय करती हैं, क्योंकि उन्हें बाजार में बने रहना है।”
कच्चे तेल का दाम दोगुना हुआ फिर भी नहीं बढ़ा दाम
1 दिसंबर 2021 को कच्चे तेल का दाम 68.87 डॉलर था। उस वक्त दिल्ली में पेट्रोल का दाम 95.41 रुपए प्रति लीटर था। 7 मार्च 2022 को कच्चे तेल का दाम 139.13 डॉलर पहुंच गया। मतलब ये कि 102 दिन में अंतरराष्ट्रीय मार्केट में दाम 70.26 डॉलर बढ़ गए। लेकिन दिल्ली में पेट्रोल के दाम 95.41 पर ही टिका रहा। अब रेट 108 डॉलर पर आ गया ऐसे में रेट बढ़ाने का कोई कारण नजर नहीं आता।
हालांकि, अभी लोगों में जो डर है, वो एकदम निराधार नहीं है, बीजेपी 3 बार ऐसा कर चुकी है…चुनाव से ठीक पहले तेल के दाम स्थिर हो जाते हैं और चुनाव के बाद बढ़ जाते हैं। नीचे तीन राज्यों का रिकॉर्ड देख लीजिए।
पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में 6 अप्रैल से 29 अप्रैल 2021 तक चुनाव हुआ। 23 फरवरी 2021 से पेट्रोल-डीजल के दाम फ्रीज हो गए। 2 मई को जब चुनाव के नतीजे आए। 4 मई से अगले पांच महीने तक पेट्रोल के दाम हर दिन या फिर हर दूसरे दिन बढ़ते गए। इस दौरान करीब 20 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी हुई।
2020 के अक्टूबर-नवंबर में बिहार विधानसभा का चुनाव हुआ। 23 सितंबर से 19 अक्टूबर तक पेट्रोल-डीजल के दाम एक बार भी नहीं बढ़े। लेकिन चुनाव परिणाम आने के बाद 20 नवंबर 2020 से कीमतें बढ़ने लगी।
2019 में लोकसभा चुनाव हुआ। मार्च में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों में 10% की बढ़ोत्तरी हुई। लेकिन दाम सिर्फ 1% बढ़ा। 20 मई को परिणाम आने के बाद फिर से पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने लगे। 2019 में चुनाव के दौरान पेट्रोल के दाम नहीं बढ़े लेकिन सरकार बनने के बाद लगातार भाव बढ़ते गए। ये फोटो बीजेपी की जीत के बाद पीएम के रोड शो की है।
पटरी पर लौट रही है अर्थव्यवस्था
कोरोना के कारण सरकार को 2020-21 में टैक्स कम मिला। लेकिन 2021 के आखिरी छह महीनों में औसतन 1.20 लाख करोड़ रुपए जीएसटी के रूप में प्राप्त हुए। इसका सीधा सा मतलब है कि अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट रही है। सरकार की कुल कमाई बजट अनुमान से 30% से अधिक होने के आसार दिख रहे हैं। ऐसे में सरकार पेट्रोल पर अतिरिक्त कमाई के लिए सरकार पेट्रोल-डीजल पर कोई टैक्स नहीं लगाएगी।