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बीकानेर,भले ही देवी सिंह भाटी केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के धुर राजनीतिक विरोधी हो,परंतु भाटी ने जनता की लम्बित मांग ही केंद्रीय मंत्री के समक्ष रखी। पोंग बांध का पानी अंतर्राज्यीय समझौते में राजस्थान का हिस्सा निर्धारित है। राजस्थान को निर्धारित हिस्से का पानी नहीं मिल रहा है। केंद्रीय मंत्री की क्या कोई जिम्मेदारी बनती है? राजस्थान को निर्धारित हिस्से से कम जितना पानी मिलता है वो नहर के प्रथम चरण यानि श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ में ही प्राथमिकता से उपयोग में ले लिया जाता है। मेघवाल का संसदीय क्षेत्र बीकानेर, अनूपगढ़, खाजूवाला, लूणकरणसर, छतरगढ़, बज्जू आदि नहर के द्वितीय चरण में कम और जैसलमेर क्षेत्र तृतीय चरण में अत्यंत कम पानी मिलता हैं। मंत्री केंद्र के हैं अंतर्राज्यीय समझौते की पालना करवाने और राजस्थान को हक का पानी दिलाने के खातिर बोलते क्यों नहीं है? प्रदेश के हित का मुद्दा हैं। सार्वधिक दिक्कत उनके ही लोकसभा क्षेत्र बीकानेर के किसानों को आ रही है। राजस्थानी भाषा की मान्यता के मुद्दे पर सांसद के रूप में अर्जुन राम मेघवाल ने बहुत ही बढ़ चढ़ कर बयान दिए थे। भाषा की मान्यता के लिए आवाज उठाने वाले संगठनों को केंद्र सरकार के मंत्री के रूप में आश्वासन भी दिए। राजस्थान सरकार ने विधानसभा में राजस्थानी भाषा को मान्यता देने का प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेज दिया है। तब से मेघवाल जी चुप है। दोनों ही मुद्दों के प्रति मेघवाल का दायित्व है कि जन भावना के अनुरूप काम करें। अगर मेघवाल राजस्थान के किसानों को हिस्से का नहरी मिलने की जिम्मेदारी नहीं उठाते हैं और राजस्थानी भाषा की मान्यता के मुद्दे पर चुप्पी साधते हैं तो वे मोदी की साख पर और कितनी बार सांसद बन सकते हैं। इन मुद्दों की अनदेखी कर वे जनता में मोदी की साख कम कर रहे हैं। जनता की आवाज नहीं बनने वाले नेता को जनता कितनी बार ढोएगी ? मंत्री महोदय आप खुद क्या सोचते हैं ? राजस्थान ( बीकानेर) को हिस्से का पूरा पानी मिलना चाहिए ? राजस्थानी भाषा को मान्यता मिलनी चाहिए ? देखना यह है कि मंत्री के रूप में अर्जुन राम मेघवाल क्या करते हैं? भाटी बेशक अर्जुन राम मेघवाल के लिए मेघवाल भाटी के लिए गलत होंगे। भाटी मेघवाल की अदावत दोनों नेता जानें। जनता इसमें सहभागी नहीं बनना चाहती। जनता दोनों से नहर का पानी और राजस्थानी की मान्यता चाहती है ।

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