बीकानेर,इन दिनों मशरूम की खेती के प्रति लोगों का रुझान बढ़ रहा है। आमतौर पर ठंडी जगहों पर ही इसकी खेती देखने को मिलती है। लेकिन इन दिनों रेगिस्तान में भी इसकी खेती हो रही है। नवाचार के तौर पर लोगों ने घरों में बने कमरे में भी इसकी खेती कर रखी है। इससे जुड़े जानकारों के अनुसार इसकी खेती कम लागत में एक कमरे में भी हो सकती है। इसके लिए स्वामी केशवानंद कृषि विश्वविद्यालय की ओर से भी इसके नवाचार के तौर पर मशरूम की यूनिट लगा रखी है। मशरूम की खेती के लिए विश्विद्यालय की तरफ से भी मोबाइल एप्लीकेशन तैयार की गई है, जिसमें मशरूम की खेती से जुड़ी हर जानकारी किसानों को दी जा रही है। इसके अलावा इसकी खेती से जुड़े किसानों को भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
मशरूम की खेती अमूमन ठंडी जगहों पर ही होती है। इसके लिए अलग से कमरा बनाकर भी खेती की जा सकती है। डॉ. अर्जुन लाल यादव ने बताया की मशरूम की हर प्रजाति के लिए अलग- अलग तापमान की जरुरत होती है। जिसमें बटन मशरूम की खेती के लिए .16 डिग्री सेल्सियस, ढींगरी मशरूम के लिए 24 डिग्री सेल्सियस, दूध छत्ता के • लिए 35 डिग्री सेल्सियस व धान या पुआल मशरूम के लिए 25 डिग्री सेल्सियस तापमान होना जरूरी है।
बल्लभ गार्डन क्षेत्र में रहने वाले अरुण ने बताया कि घर के ऊपर बने कमरे में मशरूम के करीब 150 पॉली बैग लगा रखे हैं, जिसमें एक में करीब दो से ढाई किलो मशरूम की पैदावार हो रही है। अरुण ने बताया कि इससे करीब दस गुणा फायदा हो रहा है। इस खेती में पत्नी सरोज मशरूम की पूरी देखभाल करती है। साथ ही इसके लिए यूट्यूब चैनल बना रखा है। जिसमें जो भी नवाचार करते हैं, उसको इसमें वीडियो बनाकर शेयर भी करते हैं।
कृषि महाविद्यालय के पौध व्याधि विभाग की ओर से मशरूम बॉक्स एप तैयार किया गया है। निदेशक डॉ. दाताराम ने बताया की मशरूम बॉक्स एप के माध्यम से किसान, उद्यमी, विद्यार्थी मशरूम की उत्पादन से जुड़ी मशरूम की किस्मों उत्पादन विधि, बीज स्पान निर्माण से लगाकर बिजाई, तुड़ाई, कंपोस्ट जैसी तकनीकी जानकारियां आसानी से प्राप्त कर सकेंगे।
कमरे में तापमान को ठंडा रखकर इसकी खेती आसानी से की जा सकती है। इसको लगाने के लिए बटन व ढींगरी के लिए सितम्बर से लेकर मा तक व दूध छत्ता व धान या पुआल को मार्च से सितम्बर तक लगा सकते हैं। इसको लगाने के लिए एक पॉली बैग में गेहूं का भूसा भरकर रखा जाता है। इसके बाद हर लेयर में इसके बीज डाले जाते हैं। इसके बाद यह तैयार होता है।
मशरूम की चार प्रकार की खेती की जाती है। जिसमें बटन, ढींगरी, दूध छत्ता व धान या पुआल की खेती प्रमुख हैं।