बीकानेर,शहर में बड़े पैमाने पर पनप चुके वस्त्रों की रंगाई, छपाई और धूलाई का अवैध कारोबार आमजन के लिये विकराल समस्या बन गया है । रिहायशी इलाकों में पनपे इस कारोबार के कारण प्रदूषण का खतरा भी चरम पहुंच गया है। चौंकाने वाली बात तो यह है कि रसायनिक रंगों से फैल रहे प्रदूषण के कारण प्रभावित इलाकों के लोग श्वांस,दमें और कैमिकल युक्त प्रदूषण से कैंसर का शिकार हो रहे है। मगर बीकानेर जिला प्रशासन, राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल और नगर निगम प्रशासन यहां वस्त्र रंगाई कारखानों से हो रहे प्रदूषण की रोकथाम में नाकाम बने हुए है। हैरानी की बात तो यह है कि बीकानेर के सिस्टम के जिम्मेदार अफसरों को इसकी जानकारी तक नहीं है बीकानेर शहर में वस्त्रों की रंगाई,छपाई और धूलाई के अवैध कारखानें कहां-कहां चल रहे है। इस मामले की पड़ताल में सामने आया है कि शहर में लालगुफा क्षेत्र, जैन पब्लिक स्कूल के पीछे, गोपेश्वर बस्ती समेत आस पास के रिहायशी इलाकों में सैंकड़ो की तादाद में वस्त्र रंगाई के अवैध कारखाने चल रहे है। जहां घातक कैमिकल रंगों से कपड़ो की रंगाई के बाद हजारों गैलन प्रदूषित पानी नाले-नालियों और खुले में बहा दिया जाता है। इतना ही इनमें से एक भी कारखाना संचालक ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल से एनओसी भी नहीं ले रखी है। इन कारखानों के आस पास का माहौल इस कदर प्रदूषित रहता है कि सांस लेना भी दूभर हो जाता है। प्रदूषित माहौल में रहने के कारण इन रिहायशी इलाकों के लोग कई तरह की बीमारियों से ग्रस्त होने लगे है।
चल रहे है सौ से ज्यादा कारखानें
जानकारी के अनुसार पूरी तरह अवैध चल रहे इन कारखानों में वस्त्र धुपाई, रंगाई के बाद दूषित पानी नाले नालियों और कई जगहों पर खुले में बहा देते है। इन कारखानों के कैमिकल युक्त पानी से जल व जमीन दोनों प्रदूषित हो रहे है। बताया जाता है कि पांच साल पहले तक शहर में गिनती के ऐसे कारखाने थे बीते तीन सालों के अंतराल में अवैध रंगाई,छपाई और धूलाई के इन कारखानों की तादाद सौ के पार हो गई है । इनमें महिलाओं के साथ नाबालिग उम्र के बच्चे भी जोखिम का काम कर रहे है। लेकिन बालश्रम निरोधक की टीमें आज तक इन कारखानों मेें औच्चक निरीक्षण के लिये नहीं पहुंची। इन कारखानों से पीडि़त लोग कई बार जिला प्रशासन को शिकायतें दे चुके है लेकिन जिम्मेदार अफसरों ने शिकायतों का समाधान करना तो दूर इन कारनाखों की तरफ झाँक कर भी नहीं देखा।
सालाना ढाई सौ करोड़ का कारोबार
वस्त्रों की रंगाई,छपाई और धूलाई से जुड़े इन कारखानों की कुण्डली खंगालने पर पता चला कि यह कारोबार को कोई छोटा मोटा नहीं बल्कि सालाना ढाई सौ करोड़ से ज्यादा कारोबार है। इन अवैध कारखानों में रंगे हुए वस्त्र पश्चिम बंगाल,गुजरात,मध्य प्रदेश से लेकर महाराष्ट्र तक सप्लाई होते है।