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बीकानेर.संभाग के सबसे बड़े पीबीएम अस्पताल से संबद्ध सुपर स्पेशियलिटी यूनिट (एसएसबी) 150 करोड़ का ऐसा महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है, जिसको लेकर सरकार की संकल्पना थी कि यहां आने वाले मरीजों को किसी प्रकार की असुविधा का सामना नहीं करना पड़ेगा। हालांकि, समय गुजरने के साथ हो बिलकुल उल्टा ही रहा है। इतना ही नहीं, हद तो यह है कि बच्चों के साथ ही इस सुपर स्पेशियलिटी यूनिट में भेदभाव की स्थिति सामने आ रही है।

इसको इस रूप में देखें कि पहले पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग जब बच्चा अस्पताल में संचालित हो रहा था, तो उस वक्त इस विभाग के पास 40 बेड आवंटित थे। लेकिन अब जब एसएसबी में इस विभाग को शिफ्ट किया गया, तो सिर्फ 30 ही बेड अलॉट किए गए। अब उसमें भी अन्य विभागों का हस्तक्षेप होते-होते अब सिर्फ 24 बेड ही बच्चों के लिए रह गए हैं। उस पर भी स्थिति यह होती है कि एक ही बेड पर दो-दो बच्चे और दोनों की माएं रहती हैं। ऐसे में बाल शिशु रोगी की अवस्था का अंदाजा लगाया जा सकता है। चूंकि, बच्चे शिकायत कर नहीं सकते, तो अस्पताल प्रशासन भी जैसे कान में अंगुली और आंख पर पट्टी बांधे बैठा है।

सरकार ने स्वीकृत किए पांच विभाग

एसएसबी में मरीजों की सुविधा के लिए सरकार ने पांच विभाग खोलने के लिए स्वीकृति जारी की हुई है। इसमें न्यूरोसर्जरी, न्यूरोलॉजी, पीडियाट्रिक सर्जरी, नेफ्रोलॉजी तथा गेस्ट्रोलॉजी विभाग के आउटडोर खोलने की स्वीकृति दी गई थी। बाकायदा जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने यहां का निरीक्षण कर वीडियो भी सरकार को भेजा था। पांच विभागों के लिए डेढ़ सौ बेड स्वीकृत किए गए थे। बेड की संख्या के अनुसार ही नर्सिंग स्टाफ, लैब टैक्नीशियन, सहायक कर्मचारी तथा अन्य सुविधाएं जुटाई गईं।एसएसबी में प्रत्येक विभाग को 30-30 बेड आवंटित किए हुए हैं। पूर्व में तो एक बेड पर एक मरीज को भर्ती किया जाता था, लेकिन गत दिनों यहां पर एंडोक्राइनोलॉजी तथा गेस्ट्रो सर्जरी विभाग और खोल दिया गया। ऐसे में पीडियाट्रिक सर्जरी को आवंटित 30 बेड में से 16 बेड गेस्ट्रो सर्जरी को आवंटित कर दिए गए हैं। ऐसे में पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के पास बेड कम हो गए और एक बेड पर दो-दो नौनिहालों को भर्ती किया जा रहा है। गौरतलब है कि इस विभाग में प्रति माह सौ मरीजों के ऑपरेशन भी किए जाते हैं।

ये दो विभाग और आने की संभावना

बेड की कमी से जूझ रहे एसएसबी में निकट भविष्य में दो और विभाग खुलने की संभावना है। इसमें से ईएनटी विभाग को ऑपरेशन करने की स्वीकृति जारी की गई है। इसके अलावा प्लास्टिक सर्जरी की सुविधा भी यहां शुरू होने की संभावना जताई जा रही है। अगर ये दोनों विभाग खुल गए, तो फिर बेड की कमी महसूस होने लगेगी।

दिक्कत तो होती है

एक बेड पर दो-दो मरीजों को भर्ती करने में दिक्कत होती है। अब मेडिकल रिलीफ सोसाइटी के गठन के बाद बेड बढ़ाने पर चर्चा की जाएगी। प्राचार्य का आदेश था। इस वजह से 16 बेड गेस्ट्रो सर्जरी विभाग को दिए हैं।

डॉ.गिरीश प्रभाकर, अधीक्षक एसएसबी

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