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बीकानेर,आज समाजसेवी, व्यापारी और देहदान आंदोलन के प्रेरणास्रोत पवन देवानी का 81 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके देहांत के बाद उनकी 20 वर्ष पुरानी इच्छा अनुसार, उनका पार्थिव शरीर मेडिकल शिक्षा हेतु मेडिकल कॉलेज को दान कर दिया गया।

देहदान के इस पुण्य अवसर पर सिंधी समाज के कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे, साथ ही मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. गुंजन सोनी ने स्वयं उनकी देहदान प्रक्रिया में भाग लेकर श्रद्धांजलि अर्पित की। यह क्षण समाज में अंगदान और देहदान जैसे पवित्र कार्यों के प्रति जागरूकता और प्रेरणा का प्रतीक बन गया।

पवन देवानी का जन्म 26 मार्च 1944 को वर्तमान पाकिस्तान में हुआ था। विभाजन के समय 1947 में उनका परिवार सब कुछ छोड़कर भारत आया और यहीं नया जीवन शुरू किया। मात्र 7 वर्ष की आयु में उन्होंने अपनी माता को खो दिया। चौथी कक्षा तक औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद वे व्यवसाय में सक्रिय हुए, लेकिन उनकी पहचान हमेशा एक बुद्धिजीवी और सामाजिक रूप से जागरूक नागरिक के रूप में बनी रही।

वे देहदान और अंगदान के प्रति हमेशा समर्पित रहे। वर्षों से वे अपने जेब में देहदान कार्ड रखते थे और लोगों को भी इस कार्य के लिए प्रेरित करते थे। उनका मानना था:
“देहदान से मेडिकल छात्रों को मानव शरीर को समझने में मदद मिलती है, और यह एक सच्चा सामाजिक योगदान है।”उनका जीवन और मृत्यु दोनों ही समाज के लिए एक प्रेरणा हैं। उनका अंतिम योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए दिशा और उदाहरण प्रस्तुत करता रहेगा।

 

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