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बीकानेर,पाटों के शहर बीकानेर में मोदी की यात्रा को लेकर तरह तरह की टिप्पणियां की जा रही है। भाजपा मोदी की सभा को सफल मान रही हैं। आयोजन भाजपा और केंद्र सरकार के उद्देश्य पूर्ति की दृष्टि से सफल ही रहा। बीकानेर के अलमस्त बातूनी लोगों के लिए कार्यक्रम फीका रहा। पाटो पर चर्चा हैं भाजपा की जनसभा के मंच से कोई धमाका नहीं हुआ। भाइयों और बहनों का रटा रटाया जुमला सुनने को मिला। लोगों को उम्मीद थी कि प्रदेश बीजेपी के लिए कोई बड़ा संदेश दिया जाना था। मंच पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से दोयम दर्जे के व्यवहार को लेकर कहा जा रहा है राजे को जनता ने नहीं नकारा है। भले ही मोदी शाह राजे को नही माने। जनता मानती है। राजस्थान में राजे भाजपा नेता के रूप में आज भी लोगों के दिलों में बसी है। बिना वसुंधरा के राजस्थान में बीजेपी की राजनीति फीकी है। ऐसा कहने वाले भले ही बीकानेर में राजे समर्थक ही क्यों न हो। इस बात के गहरे मायने है। दूसरी बात चटकारे वाली कांग्रेस के कुछ मंत्री हार मानकर सरकारी बंगले खाली कर घरों में शिफ्ट होने लगे हैं। डा बी डी कल्ला के सरकारी आवास से अपने घर में शिफ्ट होना पाटों पर फिर से सुर्खियां बना हुआ हैं। भायला लागे मोदी ने बीकानेर रा रासगुला, कचोरी पकोड़ी और भुजिया खाया है। नहीं तो कांई ठा नाम लेव ते ही मुंह में पाणी आवै। करणी माता, कपिल मुनि, रुणिचे रा बाबा रामदेव,जसनाथ जी, वीर तेजाजी, जम्भेश्वर भगवान, आचार्य तुलसी और पूनरासर धामा की स्मृति पर लोग कहते ओ तो सागला ने जानें। लोगों को ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस, ग्रीन एनर्जी कोरिडोर, रेलवे का विकास की बात से कोई लेना देना नहीं है। लोगों का कहना है कि योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास केवल बीकानेर नहीं कई राज्यों को एक जैसा फायदा हुआ है। इसमें बीकानेर को खास कुछ नहीं मिला।

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