बीकानेर,पीबीएम हॉस्पिटल दरअसल पीबीएम में पार्किंग ठेके का विवाद अप्रैल 2018 से चल रहा है। कांट्रेक्ट अवधि खत्म होने से पहले ही फर्म ने ठेका शतों को पालना नहीं करने का तर्क देते हुए न्यायालय में बाद दायर किया और स्टे मिल गया। इसके बाद से लगातार यह केस कोर्ट में चल रहा है। पीबीएम को पैसा मिलना बंद हो गया। चेक बाउंस हो गए थे और
लगभग डेढ़ करोड़ रुपए बकाया चल रहा था ठेकेदार का तर्क यह है कि उन्हें जितने पॉइंट पर पार्किंग करने का अधिकार दिया था उतने पॉइंट कभी दिए ही नहीं। इसके साथ लेकिन पार्किंग ठेके से वसूली पर कोई राहत नहीं दी। विवाद इतना गहराया कि वर्ष 2021 में तत्कालीन सुपरिटेंडेंट डॉ. परमेन्द्र सिरोही ने ठेका खारिज कर नई टेंडर प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया। अगले ही दिन कोर्ट में कंटेस्ट की कार्रवाई शुरू हो गई और डॉ. सिरोही को अपना आदेश वापस लेना पड़ा। ऐसे में आरएमआरएस के अध्यक्ष और संभागीय आयुक्त नीरज के पवन ने पूरा मामला समझने के बाद पार्किंग फ्री करने का फैसला लिया। चूंकि कोर्ट में नए टेंडर पर स्टे है,ऐसे में जनता को सुविधा मिलने के साथ विवाद का समाधान भी हो गया था।
मैने अभी ज्वाइन कर संभागीय आयुक्त और आरएमआरएस के अध्यक्ष के निर्देश पर फ्री- पार्किंग का आदेश जारी किया है। इस प्रक्रिया हॉस्पिटल को कितना नफा-नुकसान है इस आकलन नहीं किया है। आगे टैंडर की प्रक्रिया क्या रहेगी इस बारे में अभी कुछ कहने की स्थिति में नहीं हूं ही एक विवाद का समाधान भी हो गया। डॉ. पीके सैनी, पीबीएम अधीक्षक
पीबीएम परिसर में 16 जगह वाहन पार्क करने का टेंडर 3.45 लाख रुपए मासिक दर पर मिला था लेकिन आठ जगह ती अलॉट हुई। इससे आर्थिक नुकसान हुआ उसकी भरपाई के लिए टेंडर की शर्तों में संशोधन कर पैसा कम करना चाहिए था। हॉस्पिटल प्रशासन ने जांच कमेटी बनाई थी। उसने अपनी जो रिपोर्ट दी है उसके आधार पर भी फैसला कर सकते थे। महेंद्र सिंह कोनक्टर फर्म के प्रतिनिधि