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बीकानेर, नई दिल्ली स्थित प्रेस क्लब के सभागार में लोकप्रिय कवि एवं व्यंग्यकार डॉ लालित्य ललित द्वारा लिखित व्यंग्य आलेखों का संग्रह “पांडेयजी की रापचिक दुनिया” का विमोचन किया गया। इनका चयन वरिष्ठ साहित्यकार डॉ संजीव कुमार ने किया है।

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की वरिष्ठ साहित्यकार-नाटककार डॉ प्रताप सहगल ने और मुख्य अतिथि थे वरिष्ठ व्यंग्यकार एवं व्यंग्य यात्रा पत्रिका के यशस्वी संपादक डॉ प्रेम जनमेजय। विशिष्ट उपस्थिति रही वरिष्ठ साहित्यकार फ़ारूक़ अफरीदी जी की जो इस विशेष कार्यक्रम के लिए जयपुर से पधारे थे।

कार्यक्रम में सान्निध्य के रूप में उपस्थित थे डॉ संजीव कुमार जिन्होंने लालित्य ललित के नए व्यंग्य आलेखों का चयन किया है। सह-सान्निध्य के रूप में उपस्थित थे वरिष्ठ व्यंग्यकार प्रभात गोस्वामी एवं कवयित्री-व्यंग्यकार सुनीता शानू। कार्यक्रम का संचालन किया युवा साहित्यकार रणविजय राव ने।

इस अवसर पर एनसीईआरटी में कार्यरत साहित्य प्रेमी रमेश कुमार जी भी उपस्थित थे। कार्यक्रम में इंडिया नेटबुक्स बुक्स की प्रबंध निदेशक डॉ मनोरमा कुमार की भी विशेष उपस्थिति रही। विदित हो कि इस व्यंग्य संग्रह का प्रकाशन इंडिया नेटबुक्स ने किया है।

इस मौके पर डॉ सहगल ने कहा कि लालित्य ललित की तरफ से अभी उनका श्रेष्ठ आना बाकी है। उन्होंने यह भी कहा कि परंपराएं जो रुढ़ बन जाती हैं, उनको तोड़ने की हिम्मत ललित में है और वह कर सकते हैं।

डॉ प्रेम जनमेजय ने कहा कि ललित रोज लिख रहे हैं और यह बड़ी बात है। उन्होंने कहा कि ललित आलोचनाओं से घबराते नहीं हैं और उनका जवाब अपनी लेखनी से देते हैं। इनके द्वारा गढ़े पात्रों का अपना एक संसार है। इतने लंबे समय तक पात्रों को ढोकर चलना बड़ी बात है।

इस अवसर पर उपस्थित विशिष्ट अतिथि फ़ारूक़ आफरीदी ने कहा कि कविताएं हों या व्यंग्य, ललित निरंतर लिख रहे हैं। छब्बीसवें व्यंग्य संग्रह का लोकार्पण हुआ और शायद ही इनके जितना किसी और के इतने संग्रह आए हैं।

उपस्थित प्रायः सभी वक्ताओं ने लालित्य ललित की लेखनी पर विस्तार से चर्चा की। सबने यह बात कही कि ललित लेखन में जितने सक्रिय हैं, आज उतना कोई नहीं। उनमें व्यंग्य उपन्यास लिखने का माद्दा है। वह कर सकते हैं।

इससे पूर्व अपने उद्बोधन में डॉ लालित्य ललित ने कहा कि हम अभी कोरोना की दूसरी लहर से निपटे हैं और बड़े लंबे अरसे बाद हम सब यहां एकत्रित हैं। उस दौरान भी मेरा लेखन चलता रहा। इन सब का श्रेय और इन सबकी प्रेरणा हमारे अपने गुरुजनों से मिलती है जिनमें आज हमारे बीच प्रताप सहगल और डॉक्टर प्रेम जनमेजय उपस्थित हैं। और इन सबके साथ मेरे परिवार का भी पूर्ण सहयोग रहता है।

इस अवसर पर राजेश्वरी मंडोरा, कामिनी मिश्रा, सोनी लक्ष्मी राव एवं विनय कुमार की भी विशेष उपस्थिति रही। कार्यक्रम अत्यंत सफल रहा।
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