जोधपुर बच्चों में कुपोषण इस बार चेहरा बदलकर आया है। पहले जहां कम वजन चुनौती था तो अब बच्चों के अधिक वजन ने चिंता में डाल दिया है। प्रदेश में 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों का वजन उनकी ऊंचाई की तुलना में निर्धारित से अधिक है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में जयपुर, पाली, सीकर और डूंगरपुर को छोड़कर सभी जिलों में अधिक वजनी बच्चों का प्रतिशत बढ़ा है। प्रदेश में 2.1 से बढ़कर आंकड़ा 3.3 सकते हैं। प्रतिशत हो गया है। कई जिलों में 4 फ़ीसदी तक बढ़ोतरी हुई है इसमें कम उम्र में ही बच्चे विभिन्न रोगों का शिकार बन रहे हैं चिकित्सकों ने चेताया है कि अधिक वजन के चलते बच्चे कम उम्र में ही मधुमेह और हृदय संबंधी बीमारी की चपेट में आ सकते हैं
ये है हालातः प्रदेश में पिछले पांच वर्षों में जयपुर व डूंगरपुर में पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों का प्रतिशत यथावत है। जबकि पाली व सिरोही में कम हुआ है। इसके अलावा सभी जिलों में अधिक रजनी बच्चे बड़े हैं जोधपुर के मथुरादास माथुर अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञों के पास प्रतिदिन वजनी बच्चों को लेकर हैं। परेशान अभिभावक आ रहे हैं।
यह है नुकसान
चिकित्सकों के अनुसार बॉडी मास इंडेक्स यानी बीएमआई को माप कर मोटापे की पहचान की जा सकती है। अधिक वजन टाइप 2 मधुमेह, उच्च रक्तचाप जैसे रोगों को जन्म दे सकता है।
मोबाइल का क्रेज पड़ रहा भारी
अस्वस्थकारी भोजन, जंक फूड की अधिकता के साथ ही घंटों तक मोबाइल और टीवी की लत भी इसका एक कारण है। मोबाइल गेम्स में बच्चों के अधिक व्यस्त होने से शारीरिक गतिविधियां कम हो रही है। ऐसे में अतिभार और मोटापा बच्चों में बढ़ रहा है। अभिभावक बच्चों को खेलने के लिए प्रोत्साहित करें। अधिक समय तक एक ही स्थान पर बैठने से रोकें। जंक फूड का सेवन कम से कम करें सूट की
अतिभार एक तरह कुपोषण है। बच्चा मोटा तो दिखता है पौष्टिक आहार नहीं है। ओपीडी में लेकिन वह कुपोषित है। इनका ऐसे बच्चों की संख्या बढ़ी है। इम्यूनिटी पॉवर नहीं रहता। आगे चलकर गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। बच्चों में जंक फूड की आदत खतरनाक है क्योंकि यह पौषक आहार नहीं है ओपीडी मैं ऐसे बच्चों की संख्या बढ़ी है डॉ.अनुराग सिंह, सीनियर प्रोफेसर, शिशु रोग विभाग, डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज जोधपुर