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बीकानेर,स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय बीकानेर में विद्यार्थियों के साथ संवाद कार्यक्रम में डॉ. आर. सी. अग्रवाल, उप महानिदेशक (कृषि शिक्षा), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली ने कहा कि विद्यार्थी किताबी अध्ययन के साथ-साथ वैश्विक चुनौतियों को भी ध्यान में रखें कारण कि आने वाले 10 वर्षों में तकनीकी बदलावों के कारण जीवनशैली व मानव की मूलभूत आवश्यकताएं भी बदलने वाली हैं। उन्होंने कुलपति डॉ. अरुण कुमार, अनुसंधान निदेशक डॉ. पी. एस. शेखावत, प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ. सुभाष चन्द्र, वित्त नियंत्रक बी. एल. सर्वा तथा क्षेत्रीय निदेशक डॉ. एस. आर. यादव के साथ सोमवार को कृषि अनुसंधान केंद्र का भ्रमण कर बीकानेर की जलवायु परिस्थितियों में गेहूं में बुवाई समय एवं उपयुक्त किस्मों पर किए जा रहे अनुसंधान प्रयोग, रिजके की कृष्णा किस्म जोकि कृषि विश्वविद्यालय बीकानेर की ही देन है, के बीज उत्पादन को बढ़ाने, चना, मेथी, गेहूं एवं जौ में फसल संरक्षण के प्रयोग एवं प्याज की फसल में ऊन अपशिष्ट के जैविक खाद के रूप में उपयोग संबंधित प्रयोगों का अवलोकन किया। अनुसंधान निदेशक डॉ. पी. एस. शेखावत ने बताया कि ऊन अपशिष्ट में सल्फर की मात्रा अत्यधिक होती है जिसके कारण प्रति हेक्टेयर प्याज उत्पादन से ₹ 2 लाख तक की आय ली जा सकती है। डॉ. अग्रवाल ने कृषि महाविद्यालय में मशरूम इकाई का अवलोकन किया तथा बीकानेर की परिस्थितियों में बटन मशरूम का उत्पादन तथा मटके में ढिंगरी मशरूम देख प्रसन्नता व्यक्त की| उन्होंने सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय में मरू शक्ति एग्रो इनोवेटिव फूड्स इकाई का अवलोकन कर बाजरे के मूल्य संवर्धित उत्पादों की सराहना की। उनके भ्रमण के दोरान डॉ. पी. के. यादव, डॉ. दाता राम, डॉ. विमला डूकवाल आदि साथ थे। संवाद कार्यक्रम के दौरान डॉ. आई. पी. सिंह ने छात्राओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए एक और गर्ल्स हॉस्टल की मांग रखी।

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