बीकानेर,राजस्थान में खेलों को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ऑउट ऑफ टर्न पॉलिसी लेकर आयी और खिलाड़ियों को सरकारी नौकरियां दी गई. सरकार के इस नवाचार से खेल और खिलाड़ियों को बढ़ावा भी मिला, लेकिन इसी ऑउट ऑफ टर्न पॉलिसी के वर्तमान हालात ठीक नहीं है.
राज्य में करीब डेढ सौ खिलाड़ी ऑउट ऑफ टर्न पॉलिसी में नौकरी आवेदन के बाद भी अपनी नौकरी का इंतजार कर रहे हैं. राज्य क्रीडा परिषद और स्पोर्ट्स डिपार्टमेंट के खिलाड़ी अब चक्कर लगा रहे है.
राजस्थान खेल विभाग द्वारा लागू की गई आउट ऑफ टर्न पॉलिसी एक ऐसी सर्विस पॉलिसी है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को उनकी खेल उपलब्धियों के मुताबिक सीधे सरकारी नौकरी का प्रावधान किया गया. इस पॉलिसी को राजस्थान में लागू करते हुए देश में पहला ऐसा राज्य होने का दावा राज्य की गहलोत सरकार ने किया था.
सरकार द्वारा कहा गया कि इससे प्रदेश भर में खेलों का अच्छा वातावरण बनेगा और ज्यादा से ज्यादा युवा खेलों की तरफ अपना रुझान बढ़ाएंगे, जिसके सार्थक परिणाम भी देखने को मिले. नतीजा यह रहा कि करीब ढाई सौ खिलाड़ियों को राज्य में आउट ऑफ टर्न पॉलिसी के तहत नौकरी देने की कवायद नजर आई. डिवाईएसपी से लेकर एसीएफ जैसे पदों पर मेडलिस्ट खिलाड़ियों को सीधे नौकरियां दी गई, लेकिन अब तकरीबन छह महीने से इस योजना में आवेदक खिलाड़ियों को इंतजार ही हाथ लग सका हैं.
एक सौ बीस खिलाड़ी आवेदन की सूची में शामिल होकर इन दिनों खेल विभाग और परिषद के बीच चक्कर काट रहे हैं, जबकि बीस से पच्चीस खिलाड़ी नए आवेदन लिए तैयार हैं. खिलाड़ियों की इस बात को अब राज्य ओलंपिक संघ ने भी उठाते हुए खेल विभाग और परिषद से मांग की है कि खिलाड़ियों के हित में इस मुद्दे का तत्काल हल किया जाए.
ये है खिलाड़ियों की नौकरी अटकने की मुख्य वजह
राजस्थान आउट ऑफ टर्न अपॉइंटमेंट टू स्पोर्ट्स मेडल विनर रूल्स- 2017 के तहत उनकी प्रथम वरीयता अनुसार अनुपातिक रूप से विभागों का आवंटन किया गया है. आउट ऑफ टर्न नियुक्ति पाने वाले खिलाड़ियों को विभिन्न श्रेणियों में रखा गया है. पहली श्रेणी यानी ‘A’ केटेगरी में ओलंपिक, पैरा ओलंपिक के पदक विजेता, वर्ल्ड कप, वर्ल्ड चैंपियनशिप, एशियन कॉमनवेल्थ क्रिकेट वर्ल्ड कप चैंपियनशिप के विजेता या उपविजेता है, जबकि ‘B’ कैटेगरी में एशियन चैंपियनशिप और साउथ एशियन गेम्स के पदक विजेताओं को रखा गया है.
C केटेगरी में नेशनल गेम्स और नेशनल पैरा गेम्स के पदक विजेता और रणजी ट्रॉफी के विजेता शामिल किए गए है. दरअसल, इन नए आवेदक खिलाड़ियों की फाइल अटकने की वजह यह भी बताई जा रही है कि आउट ऑफ टर्न पॉलिसी के लिए गठित कमेटी में एक सदस्य को लेकर विवाद रहा, जिसकी वजह से कमेटी की बैठके नहीं हो सकी, क्योंकि कमेटी की सिफारिशों पर ही खेल परिषद विभाग को खिलाड़ियों के नाम भेजती हैं. ऐसे में यह मसला अटक कर रह गया हैं. अब इस मामले में खेल मंत्री अशेाक चांदना का कहना है कि अब खेल जल्द ही इस समस्या का समाधान कर लिया जाएगा.
आउट ऑफ टर्न पॉलिसी के तहत नौकरियां राजस्थान सरकार का एक बड़ा फैसला था, जिससे खिलाड़ियों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने और खेल को आगे बढ़ाने में सहयोग को लेकर यह पॉलिसी फ्रेम की गई, लेकिन मौजूदा समय में सूची में नौकरी का इंतजार कर रहे खिलाड़ियों का दोष क्या है, जिससे उन्हें इसका लाभ नहीं मिल रहा हैं ये बड़ा सवाल है.